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अमर गायक मोहम्मद रफी के हमसे बिछड़े 43 साल हो गए। उनके गाए गीत आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने उनके समय में। लिहाजा, हंसवाहिनी संगीत कला मंदिर हनुमानगढ़ में ‘एक शाम रफी के नाम’ कार्यक्रम हुआ। अमर गायक मोहम्मद रफी के गाए गीतों को गाकर गायकों ने उन्हें स्वरांजलि दी। संगीत प्रेमियों ने महान गायक मोहम्मद रफी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। नन्हें उस्ताद पार्थ, हितैषी, गीतांशी, मुदित और पलाक्षी ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का आगाज किया। राजकुमार एंड ग्रुप ने ‘जहां डाल डाल पर….’, मनदीप एंड ग्रुप ने ‘इक बंजारा गाए….’, दीपशिखा एंड ग्रुप ने ‘साथी हाथ बढ़ाना….’, विक्रम एंड ग्रुप ने ‘ये देश है वीर जवानों का….’ गीत की सामूहिक प्रस्तुति दी। एकल गायन में सलोनी ने ‘मेरे मितवा…’, उदयवीर ने ‘वो जब याद आए…’, आर.के. शर्मा ने ‘ये दुनिया ये महफिल…’, सुमित शेखावत ने ‘साथिया नहीं जाना…’, पवन बजाज ने ‘पुकारता चला हूं मैं…’, विनोद यादव ने ‘चिराग दिल का जलाओ…’, भारती ने ‘तू इस तरह से मेरी..’, ओमप्रकाश ने ‘मन तडपत हरी दर्शन को..’. गुलशन अरोड़ा ने ‘ना फनकार तुझसा तेरे बाद आया ….’ बनवारी लाल पारीक ने ‘आज पुरानी राहों से..’ आदि गीतों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में हारमोनियम पर गुलशन अरोड़ा, तबले पर तरुण प्रीत, ढोलक पर विनोद कुमार, कांगो पर लक्ष्य फूलिया, केहॉन पर मानसी महाजनी ने संगत की। मंच संचालन विनोद यादव ने किया। संस्था संरक्षक सुमन चावला ने रफी के जीवन का परिचय दिया एवं जीवन में संगीत के महत्व को बताया।