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श्रीकृष्ण। सांवला और सलोना। प्रेम का पर्याय और निर्मोही भी। अजेय योद्धा लेकिन शांतिदूत और आखिर में रणछोड़ भी। जीवन जीने की कला सिखाने वाले श्रीकृष्ण। बालपन मे ंनटखट लेकिन युवा होते ही शालीन और विद्वता के शीर्ष पर नजर आने वाले श्रीकृष्ण। महान राजनीतिज्ञ। योगेश्वर। एकमात्र अवतारी पुरुष जिन्हें 16 कलाओं में निपुणता हासिल हो। आइए, जानते हैं श्रीकृष्ण की छवि इतनी मनमोहक क्यों है और वे जिन आभूषणों को धारण करते हैं, उसके मायने क्या हैं…..
मोरपंख: मां यशोदा श्रीकृष्ण के सिर पर हमेशा मोर मुकुट पहनाया करती थीं। कृष्ण का मोरमुकुट हमें यह संदेश देता है कि, जीवन में भी मोरपंख की तरह कई तरह के रंग हैं। सुख-दुःख, सफलता-असफलता ही जीवन के कई रंग हैं क्योंकि इन्हीं रंगों से मिलकर जीवन बना है। इसलिए जीवन के रंग से आपको जो कुछ भी प्राप्त हो इसे अपने माथे से लगाकर अंगीकार करें।
बांसुरी: भगवान श्रीकृष्ण के हाथों में बांसुरी होती है। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण बहुत अच्छा बांसुरी बजाते थे। श्रीकृष्ण की बांसुरी यह संदेश देती है कि जीवन में कैसी भी घड़ी आए लेकिन घबराना नहीं चाहिए बल्कि क्योंकि भीतर में शांति हो तो जीवन सफल होता है।
वैजयंती माला: भगवान कृष्ण गले में वैजयंती माला पहनते थे, जोकि कमल के बीजों से बनती है। इसके दो अर्थ हैं, पहला ये कि कमल के बीज सख्त होते हैं और सख्त होने की वजह से ये आसानी टूटते नहीं, सड़ते नहीं व चमकदार बने रहते हैं। यह इस बात की सीख देते हैं कि, जीवन में सख्त होना भी जरूरी है। दूसरा अर्थ यह है कि, बीज की मंजिल भूमि होती है, जोकि हमें जमीन से जुड़कर रहने की सीख देती है।
पीतांबर: भगवान श्रीकृष्ण पीतांबर धारण किए होते हैं। पीला रंग संपन्नता का प्रतीक है। पीतांबर इस बात का संदेश है कि, पुरुषार्थ ऐसा करो कि संपन्नता स्वंय तुम्हारे पास चलकर आए।
वैजयंती माला: भगवान कृष्ण गले में वैजयंती माला पहनते थे, जोकि कमल के बीजों से बनती है। इसके दो अर्थ हैं, पहला ये कि कमल के बीज सख्त होते हैं और सख्त होने की वजह से ये आसानी टूटते नहीं, सड़ते नहीं व चमकदार बने रहते हैं। यह इस बात की सीख देते हैं कि, जीवन में सख्त होना भी जरूरी है। दूसरा अर्थ यह है कि, बीज की मंजिल भूमि होती है, जोकि हमें जमीन से जुड़कर रहने की सीख देती है।
पीतांबर: भगवान श्रीकृष्ण पीतांबर धारण किए होते हैं। पीला रंग संपन्नता का प्रतीक है। पीतांबर इस बात का संदेश है कि, पुरुषार्थ ऐसा करो कि संपन्नता स्वंय तुम्हारे पास चलकर आए।
कमरबंद: पीतांबर को ही भगवान ने कमरबंद भी बनाया है, जोकि इस बात का संदेश देता है कि, हमें हमेशा चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। जब भी धर्म के पक्ष में कोई कर्म करना पड़े तो हमेशा तैयार रहें।
मां यशोदा और राधा: भगवान श्रीकृष्ण की बाल्यवस्था की छवि में माता यशोदा उनके संग दिखाई देती है। वहीं अन्य छवियों में कृष्ण संग राधा भी है। कृष्ण की छवि में माता यशोदा या राधा के संग होने का अर्थ यह है। जीवन में स्त्रियों का महत्व होता है, जिसके बिना हर पुरुष अधूरा है। इसलिए उन्हें पूर्ण सम्मान दें और इस बात का भी ध्यान रखें कि स्त्री हमारी बराबरी में रहें, हमसे नीचे नहीं।
सुदर्शन चक्र: भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है, जिसक तुलना अस्तित्व से की जाती है यानी व्यक्ति का अस्तित्व ही उसके लिए सुदर्शन है। लोग आपके व्यक्तित्व को देखकर ही व्यवहार करते हैं। यही सुदर्शन की वजह से आपकी हर जगह जीत तय है।