“रिलेक्स मोड” पर प्रशासन और जनप्रतिनिधि!

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
घग्घर बहाव क्षेत्र में जलस्तर थमने के साथ ही जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी संडे को ‘रिलेक्स मोड’ में आ गए। इस बीच घग्घर का पानी हरियाणा और हनुमानगढ़ में हलचल पैदा करने के बाद रविवार रात साढ़े आठ बजे अनूपगढ़ रेलवे पुल के पास पहुंच गया। सिंचाई विभाग के एक्सईएन सहीराम यादव ने यह जानकारी दी।
उधर, रविवार सुबह पानी की आवक में कमी की खबर के साथ ही प्रशासन ‘आराम’ की मुद्रा में आ गया और अलग-अलग मुद्राओं में फोटो खिंचवाने वाले जनप्रतिनिधि खबरों से दूर हो गए। किसी तरफ से कोई खबर नहीं। ऐसे में शिक्षण संस्थानों के संचालक भी स्कूल खुलेगा या नहीं, इस आशय को लेकर ‘भटनेर पोस्ट’ दफ्तर से जानकारी तलब करते रहे। चूंकि प्रशासन की ओर से अभी कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं इसलिए सोमवार को स्कूलों का बंद रहना तय है। संभव है, पानी की आवक में गिरावट के साथ ही प्रशासन सोमवार को स्कूल खोलने को लेकर कोई निर्णय ले।
दूसरी तरफ, ओटू हेड पर पानी की आवक में भारी कमी आई है। बीती रात 10 बजे की तुलना रविवार शाम छह बजे जारी गेज रिपोर्ट के मुताबिक, ओटू हेड से पानी की आवक में तकरीबन 3825 क्यूसेक की कमी आई है। देखा जाए तो यह अपने आपमें राहत की बड़ी बात है। रात दस बजे ओटू में 39825 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा है जो घटकर 36000 क्यूसेक हो गया है। ओटू में पानी कम होने का असर घग्घर साइफन और नाली बेल्ट पर भी हुआ। घग्घर साइफन में रात 23500 क्यूसेक पानी प्रवाहित हो रहा था जो अब घटकर 22261 क्यूसेक रह गया। इसी तरह आरडी-629 में रात के वक्त करीब 5112 क्यूसेक पानी चल रहा था जो घटकर 4555 क्यूसेक रह गया। इसी तरह नाली बेड में रात 7049 क्यूसेक पानी चल रहा था जो सुबह घटकर 6840 क्यूसेक हो गया। राजस्थान में कुल पानी की आवक को तुलनात्मक रूप से देखें तो रात के वक्त 28662 क्यूसेक पानी था जो अब 26816 क्यूसेक हो गया। इस तरह देखा जाए तो पानी का यूं घटना बेहद संतोष की बात है। लेकिन इससे यह समझ लेना कि अब खतरा टल गया है, उचित नहीं। चूंकि पानी का प्रवाह जारी है, इसलिए तटबंधों की निगरानी व मजबूती बेहद जरूरी है। इंटेक स्ट्रक्चर के जरिए इंदिरा गांधी नहर परियोजना में डाले जा रहे पानी की मात्रा में रविवार को कमी आई। शनिवार को आईजीएनपी में 5112 क्यूसेक पानी डाला जा रहा था जो रविवार को घटकर 4555 क्यूसेक रह गया। अभी भी 2 दिन सतर्क रहने की आवश्यकता है। क्योंकि अभी भी जीडीसी आरडी 42 व घग्घर नाली बेड में क्षमता से अधिक पानी चल रहा है।

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