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अगर ऐसा होगा तो मोदी का यह ‘पॉलिटिकल बम’ फोड़ने जैसा होगा जिससे देश में बड़ा सियासी धमाका हो सकता है।
दिल्ली के सियासी गलियारे में इस बात की पुरजोर चर्चा है कि मोदी विशेष सत्र के आखिरी दिन लोकसभा भंग कर चुनाव आयोग से चुनाव करवाने की सिफारिश कर सकते हैं। इसके साथ ही न सिर्फ राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम, बल्कि ओडिशा, आंधप्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा तथा जम्मू और कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव करवाने की सिफारिश संभव है। माना जा रहा है कि इससे मोदी एक तीर से दो शिकार कर सकते हैं। एक तो वे मध्यप्रदेश, हरियाणा जैसे बीजेपी शासन वाले राज्यों में सरकार के खिलाफ माहौल को कम करने में कामयाब होंगे बल्कि जिन राज्यों में कांग्रेस या इंडिया गठबंधन की सरकारें हैं, वहां पर वे विपक्ष को बिखेरने में भी सफल हो सकते हैं।
बीजेपी ने पूरे देश में चुनावी माहौल का आगाज कर दिया है। राजस्थान की बात करें तो रोजाना दो से चार केंद्रीय मंत्री राजस्थान में रहते हैं। अलग-अलग राज्यों के करीब दो सौ विधायक राजस्थान की 200 सीटों पर घूम रहे हैं। भाजपा जिस तरह चुनाव की परिपाटी बदल रही है, इससे साफ लगता है कि वह राज्यों के क्षत्रपों के प्रभाव को कम कर मोदी के प्रभाव में उसे विलीन करने की तैयारी में है। मोदी की यही राजनीति भी है कि ‘एकोहं दिद्वीयं नास्ति’। यानी एक मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं। ऐसे में सबकी नजरें संसद के विशेष सत्र पर टिकी है कि आखिर इसमें क्या नया होने वाला है।