राजस्थान की राजनीति करवट लेती नजर आ रही है। राजनीति के पैमाने बदल रहे हैं। पैटर्न में बदलाव नजर आ रहा है। इन बदलावों के बीच बीकानेर संभाग नई चर्चाओं से दो-चार हो रहा है। चर्चा है संभाग की चार सीटों को लेकर। बीकानेर पश्चिम, कोलायत, सुजानगढ़ और श्रीगंगानगर। इन चारों सीटों पर यूं तो दर्जनों टिकटार्थी हैं विभिन्न पार्टियों से लेकिन चार की चर्चा ज्यादा है। बीकानेर पश्चिम सीट से लोकेश शर्मा ने कांग्रेस से टिकट के लिए आवेदन किया है। लोकेश शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास सिपहसालार माने जाते हैं। उनके पास फिलहाल, ओएसडी का जिम्मा है।
कोलायत से तेजाराम मेघवाल का नाम विभिन्न सर्वे रिपोर्ट में तेजी से उभरकर सामने आया है। दरअसल, तेजाराम केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के निजी सहायक हैं। वे मूलतः कोलायत के रहने वाले हैं। दिलचस्प बात है कि खुद तेजाराम मेघवाल ने बीजेपी से टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है लेकिन सर्वे रिपोर्ट में उनका नाम टॉप थ्री में आ रहा है। श्रीगंगानगर सीट से गिरीश चावला बीजेपी के टिकटार्थी के तौर पर चर्चा में हैं।
गिरीश चावला भी केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के निजी सचिव और सीआरपीएफ से रिटायर्ड आईजी हैं। वहीं, सुजानगढ़ से बीजेपी टिकट के प्रबल दावेदारों में बीएल भाटी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। भाटी पूर्व मंत्री युनूस खान के ओएसडी के तौर पर कार्य कर चुके हैं। एससी या अन्य पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए भाटी शुरू से तत्पर रहे हैं। देखा जाए तो चारों सीटों पर दावेदारी जता रहे ये चार लोग राजनेताओं के सहायक की भूमिका निभाते रहे हैं जिनका दायित्व पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभाना होता है लेकिन इस बार ये चारों लोग राजनीतिक मंच पर अपने लिए प्रत्यक्ष भूमिका तलाश रहे हैं। सवाल यह है कि कांग्रेस और बीजेपी के रणनीतिकार इनके लिए क्या सोच रहे हैं ?
चारों का रहा है समाज से जुड़ाव
बीकानेर संभाग में 24 सीटें हैं विधानसभा की। कोलायत, बीकानेर पश्चिम, सुजानगढ़ और श्रीगंगानगर सीट के लिए जिन चार लोगों के नाम चर्चा में हैं, ये सब समाज से जुड़े हुए हैं। कोलायत से तेजाराम मेघवाल अपने गांव व आसपास के क्षेत्र में सामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का गृह क्षेत्र बीकानेर ही है और संसदीय क्षेत्र भी। इसलिए उनसे जुड़े ग्रामीणों व शहरी लोगों से तेजाराम का सीधा संबंध है। लोकेश शर्मा मूलतः बीकानेर के रहने वाले हैं। युवा हैं, पूरे प्रदेश में इनके पास युवाओं की टीम है। मुख्यमंत्री के खास माने जाते हैं। इसलिए इनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। रही बात सुजानगढ़ की तो बीजेपी से टिकट चाह रहे बीएल भाटी सुजानगढ़ के पास के गांव बालसमंद के रहने वाले हैं। डॉ. अंबेडकर के सपने को साकार करने के लिए वे एससी वर्ग के लोगों में जाकर शिक्षा की अलख जगाने के लिए जाने जाते हैं। जबकि श्रीगंगानगर से बीजेपी टिकट के लिए आवेदन करने वाले गिरीश चावला शुरू से आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं।
मुख्य भूमिका में आना चाहते हैं ये ‘सहायक’
तेजाराम मेघवाल: कोलायत विधानसभा सीट से इनके नाम की चर्चा है। यह सीट पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी की रही है। लेकिन कांग्रेस के भंवर सिंह भाटी से चुनाव हारकर सियासी दौड़ से बाहर हो गए हैं। अपनी हार के बाद से ही देवीसिंह भाटी भाजपा व अर्जुन मेघवाल के बारे में अनर्गल बयान देते रहते है ।बीजेपी इस सामान्य सीट से तेजाराम मेघवाल को टिकट देकर जातिगत समीकरण साध सकती है। माना जा रहा है कि कोलायत सीट भले सामान्य हो लेकिन यहां पर करीब 28 फीसद वोट एससी का है जो सामान्य मतदाताओं से करीब छह फीसद ज्यादा है। ऐसे में पार्टी बड़ा ‘खेला’ कर सकती है। फिर तेजाराम की छवि बेदाग मानी जाती है। वे युवा हैं और आम जन के सुख-दुःख में शामिल होते नजर आते हैं।तेजाराम मेघवाल का सभी वर्गों के साथ मधुर सम्बंध है ।अर्जुनराम मेघवाल भी अपने खास सिपहसालार के हाथों अपने प्रतिद्वंद्वी देवी सिंह भाटी का करारी मॉत देने में पीछे नहीं रहेंगे, ऐसी चर्चा है। पिछले चुनाव में कोंग्रेस ने भी जैसलमेर सामान्य सीट से रुपाराम मेघवाल को टिकट देकर अप्रत्याशित जीत हासिल की है ।
लोकेश शर्मा: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संकेत मिले बगैर लोकेश शर्मा राजनीति के मैदान में सीधे दाखिल लेंगे, ऐसा संभव नहीं है। माना जा रहा है कि सीएम की सहमति मिलने के बाद ही वे क्षेत्र में सक्रिय हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस कुछ युवा चेहरों को मैदान में उतारे और उसी क्रम में बीकानेर की इस सीट से लोकेश की उम्मीदवारी तय हो तो इसमें संशय की कोई बात नहीं। लोकेश की छवि बेदाग और मिलनसार की है। सबको साथ लेकर चलना उन्हें बखूबी आता है।
गिरीश चावला: श्रीगंगानगर सीट शहरी जैसी है। यहां पर अरोड़ा बिरादरी का वर्चस्व है। पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर के बाद अरोड़ा वर्ग से कोई नेता उभरकर सामने नहीं आया। फिर श्रीगंगानगर गिरीश चावला का ससुराल भी है। वे उच्च शिक्षित हैं और कुशल प्रबंधन में माहिर माने जाते हैं। हंसमुख और विनम्र स्वभाव के कारण सामने वाले को अपनी ओर आकर्षित करने का हुनर रखते हैं। जाहिर है, बीजेपी उन्हें एक बार मौका देना चाहेगी।
बीएल भाटी: सुजानगढ़ के गांव बालसमंद निवासी बीएल भाटी एससी वर्ग से आते हैं। वे पीडब्ल्यूडी में बतौर अधीक्षण अभियंता स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। पूर्व पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर युनूस खान के साथ इनके मधुर रिश्ते रहे हैं। पार्टी से जुड़ाव की वजह से बीजेपी ने पिछले चुनाव में इन्हें खींवसर से टिकट भी दिया लेकिन भाटी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया क्योंकि वे सुजानगढ़ से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। बीएल भाटी मूल रूप से अंबेडकरवादी हैं। वे शिक्षा के प्रसार में जुटे रहते हैं। सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने राज्य भर में करीब दर्जन भर छात्रावास बनवाने में अपनी भूमिका निभाई। इसी छवि के कारण लोग उनसे जुड़ाव रखते है।
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