भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
मंत्रियों का दायित्व विपक्ष अथवा बाकी विधायकों को संतुष्ट करना होता है। लेकिन राज्य विधानसभा में कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब सत्तापक्ष के सदस्य यहां तक कि जिम्मेदार मंत्री अपनी ही सरकार पर सवाल उठाकर सनसनी पैदा कर देते हैं। गहलोत मंत्रीमंडल में कई ऐसे नाम हैं।
लेकिन फिलहाल चर्चा में हैं सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा व सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा। विधानसभा में पुलिस की अनुदान मांगों पर मंत्री शांति धारीवाल के जवाब के दौरान भारी हंगामा हुआ। धारीवाल ने जब झूठे मुकदमे दर्ज करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आंकड़े गिनाते हुए कहा कि बीजेपी राज में तो 182 की कार्रवाई के बारे में पता तक नहीं था। इसी बीच सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा-झूठा मुकदमा तो मुझ पर भी लगाया गया। मेरे खिलाफ भी झूठा मुकदमा किया गया। गुढ़ा के इतना कहते ही उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और विपक्ष के विधायक खड़े हो गए। राठौड़ ने कहाकृ एक मंत्री ही खुद पर झूठा मुकदमा होने की बात कह रहे हैं। मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। एक मंत्री का आरोप लगाने से साफ है कि सरकार अब राज करने का हक खो चुकी है। बीजेपी विधायकों ने गुढ़ा के बयान पर सरकार को घेरने की कोशिश करते हुए जमकर हंगामा किया। बीजेपी विधायकों ने जमकर नारेबाजी की। स्पीकर सीपी जोशी के दखल के बाद हंगामा शांत हुआ।
हंगामा शांत होने के बाद मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने धारीवाल के जवाब के बीच फिर बोलने के लिए खड़े हुए, लेकिन स्पीकर ने कड़ा रुख अपनाते हुए मंजूरी नहीं दी। स्पीकर ने गुढ़ा से कहा-आपको बीच में बोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके बाद गुढ़ा बैठ गए। लेकिन धारीवाल के जवाब के दौरान सीएम सलाहकार संयम लोढ़ा ने बोलना चाहा, लेकिन उन्हें स्पीकर ने मंजूरी नहीं दी। इस पर लोढ़ा स्पीकर से उलझ गए। स्पीकर ने लोढ़ा को फटकारते हुए कहा कि मंत्री के जवाब के बीच आपको बोलने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। दरअसल, विधानसभा में इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। सियासी गलियारे में इस तरह की चर्चाएं परवान पर हैं।