भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
भाजपा कार्यकर्ताओं में जो ‘क्रेज’ वसुंधराराजे को लेकर है, संभवतः किसी अन्य नेताओं के प्रति नहीं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है पूर्व सीएम राजे का सूरतगढ़-पल्लू दौरा। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की आंख में ‘खटकने’ वाली वसुंधराराजे समय-समय पर अपने बयानों से ‘मैसेज’ जारी कर देती हैं कि उनका कुछ न बिगड़ेगा क्योंकि उनके रक्षक ‘नारायण’ हैं। सब कुछ इशारे में चल रहा है।
मोदी-शाह एक दशक से राजे के सियासी सफर पर ब्रेकर’ लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे लेकिन उनमें इतना साहस नहीं कि वे खुले तौर पर वसुंधराराजे की मुखालिफत कर सकें। शायद इसलिए कि उन्हें पता है राजस्थान की जनता में राजे की लोकप्रियता सर चढ़कर बोलती है। पिछले एक साल में भाजपा के कई नेताओं का दौरा हुआ लेकिन कार्यकर्ताओं का जो उत्साह वसुंधराराजे के आने से दमकता दिखता है, किसी अन्य नेताओं के आने से नहीं। यही अंदाज राजे को जन नेता की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है।
पूर्व सीएम राजे सूरतगढ़ आईं। धार्मिक कार्यक्रम में उनका भाषण बेजोड़ था। इशारे में ही उन्होंने सबको बहुत कुछ कह दिया। हनुमानगढ़ जिले के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता राजे का स्वागत करने पहुंचे। पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप व संजीव बेनीवाल, विधायक धर्मेंद्र मोची व गुरदीप शाहपीनी, गुलाब सींवर, परमजीत कौर, जसप्रीत सिंह सिद्धू सहित सहित खूब ऐसे नाम थे जिन्होंने राजे से मुलाकात की। जिलाध्यक्ष बलवीर बिश्नोई को तो जाना ही था। सांसद निहालचंद मेघवाल पूरे कार्यक्रम को ‘मैनेज’ करते नजर आए।
दिलचस्प बात है कि भाजपा के अधिकांश नेताओं ने राजे से ज्यादा बात नहीं की लेकिन उनका तौर-तरीका ऐसा था मानो कह रहे हों, ‘रानी साहिबा, हाजिरी कबूल करो!’ राजे भी जैसे इशारे में कह रही थीं, ‘कबूल है’। सबको मालूम था, वे सब दिल्ली दरबार के ‘रडार’ पर हैं। फिर भी भाजपा नेता राजे को ‘इग्नोर’ नहीं कर सकते। यही तो राजे की ताकत है।
अब, राजे राजधानी पहुंच चुकी हैं। भाजपा के नेता भी अपने-अपने घरों में लौट आए हैं। समझने की बात इतनी सी है कि विधानसभा चुनाव में क्या होगा? राजे से मिलने पहुंचे नेताओं को पार्टी टिकट देगी ? मौजूदा परिस्थितियों में एक ही जवाब है, कुछ-एक को छोड़कर शायद नहीं। सवाल लाजिमी है, फिर क्या होगा ? जवाब कठिन नहीं। ‘होहि है सोई जो राम रचि राखा’ यानी टिकट से वंचित नेता भाजपा के खिलाफ ताल ठोकते नजर आएंगे। सियासी रायता बिखर जाएगी। और क्या!