बाढ़ रोकने का एकमात्र तरीका, जानिए…क्या ?

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
घग्घर नदी बेचैन कर रही है। गांवों के अलावा अब हनुमानगढ़ जंक्शन और टाउन के वाशिंदों में खौफ की स्थिति है। लेकिन यह समय चिंता करने का नहीं। संभावित आपदा को रोकने के लिए प्रयास करने का है। कलक्टर रुक्मणि रियार का कहना उचित है कि आपदा को सामूहिक प्रयासों से ही रोका जा सकता है, नियंत्रण पाया जा सकता है।
एसडीएम डॉ. अवि गर्ग ने पार्षदों के साथ बैठक कर फीडबैक लिया। पार्षदों का अपने वार्ड में गहरी पैठ होती है। वे वार्ड की तमाम गतिविधियों की जानकारी रखते हैं। ऐसे में पार्षद इस संभावित आपदा को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
शनिवार सुबह आठ बजे तक की स्थिति यह है कि घग्घर नाली बेड में पानी बढ़कर 6800 क्यूसेक हो गया। यानी क्षमता से करीब 1300 क्यूसेक ज्यादा। यह स्थिति भयावह है। सिंचाई विभाग के मुताबिक, ओटू से 40700 क्यूसेक, घग्घर साइफन में 22790 क्यूसेक, आईजीएफ आरडी 629 में 4937 क्यूसेक, आरडी 42 में 15824 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इस तरह राजस्थान में कुल 27727 क्यूसेक पानी की आवक हो रही है। पानी की आवक थमेगी या नहीं, इसको लेकर अभी उच्चाधिकारी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।
अधिकारियों का कहना है कि आपदा को रोकना जरूरी है। प्रशासन अपने स्तर पर बेहतर प्रबंधन कर रहा है। अब जन जागरूकता की जरूरत है। हायतौबा मचाने से बेहतर है लोग तटबंधों की मजबूती में जुट जाएं। फोटो खिंचवाने, सोशल मीडिया पर बेवजह पोस्ट करने व अफवाह फैलाने से बेहतर है हर कोई बांध की मजबूती के लिए अपनी प्रभावी भूमिका सुनिश्चित करें। जितना संभव हो, खाली बोरियां ले जाएं और मिट्टी भरने में सहयोग करें। फिर उन बोरियों को तटबंधों तक पहुंचाएं। बांध रिसाव की स्थिति आने पर फौरन बोरियां रखें, रिसाव पर नियंत्रण पाने में सहयोग करें। यही जिम्मेदार नागरिक के लक्षण हैं। संभावित बाढ़ रोकने का एकमात्र यही तरीका है।

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