भटनेर पोस्ट ब्यूरो. नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिभावकों से कहाकि वे अपने सोशल स्टेटस का दबाव बच्चों पर न डालें। तालकटोरा स्टेडियम में ’परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में उन्होंने दो घंटे तक बच्चों से बातचीत की। एक विद्यार्थी से मुखातिब मोदी ने कहा, ‘आप क्रिकेट खेलती हैं। क्रिकेट में गुगली होती है। निशाना एक होता है, दिशा दूसरी होती है। लगता है कि आप पहली बार में मुझे आउट करना चाहती हो। अगर परिवार के लोगों की अपेक्षाएं हैं तो ये स्वाभाविक है। इसमें कुछ गलत भी नहीं है, लेकिन अगर परिवार के लोग अपेक्षाएं सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो वो चिंता का विषय है। उनका सोशल स्टेटस का इतना दबाव है कि उन्हें लगता है कि बच्चों के लिए सोसाइटी में क्या बताएंगे। बच्चे कमजोर हैं तो कैसे चर्चा करेंगे। मां-बाप आपकी क्षमता जानने के बावजूद सोशल स्टेटस के कारण क्लब-सोसाइटी में जाते हैं तो बच्चों की बातें करते हैं। उन्हें कॉम्प्लेक्स आता है। बड़ी-बड़ी बातें बताते हैं अपने बच्चों के बारे में। घर में आकर वही अपेक्षा करते हैं। समाज जीवन में यह सहज हो गया है।’ कार्यक्रम में मोदी ने परीक्षा और जीवन में तनाव पर बच्चों के सवालों के जबाव दिए। ’एग्जाम में परिवार की निराशा से कैसे निपटूं’ पर छात्रों को टिप्स दी। पीएम ने घर में मां के मैंनेजमेंट, क्रिकेट की गुगली, पतंग का मांझा, पार्लियामेंट में सांसदों की नोकझोक जैसे उदाहरण देकर बच्चों को समझाया। जब एक छात्र ने एग्जाम में दबाव पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ’परिवार के दबाव से दबाव में ना आएं। कभी क्रिकेट देखने गए होंगे, तो कुछ बैट्समैन आते हैं तो पूरा स्टेडियम चिल्लाना शुरू करता है-चौका-चौका, छक्का-छक्का। क्या वो ऑडियंस की डिमांड के ऊपर चौके-छक्के लगाता है? चिल्लाते रहें, बैट्समैन का ध्यान बॉल पर ही होता है। बॉलर के माइंड को स्टडी करने की कोशिश करता है। जैसी बॉल है वैसा ही खेलता है। फोकस रहता है।’ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का यह छठा संस्करण है। इस प्रोग्राम के लिए 20 लाख से अधिक प्रश्न प्राप्त हुए। पटना से प्रियंका कुमारी, मदुरई से अश्विनी, दिल्ली से नवतेज ने पीएम से पूछा कि अगर नतीजे अच्छे न हों तो परिवार की निराशा से कैसे निपटूं? आजकल छात्र हाथ काट ले रहे हैं, वो अपनी भावनाओं को लेकर दूसरों पर भरोसा नहीं करते हैं?