राजेश चड्ढ़ा.
आज ही के दिन यानी 9 सितम्बर 1950 को पंजाब के तलवंडी सलेम, जालंधर मे जन्मे अवतार पाश (अवतार सिंह संधू). बीस वर्ष की उम्र मे उनका पहला कविता संग्रह ‘लोह कथा’ प्रकाशित हुआ। पंजाबी में उनके चार कविता संग्रह ‘लौह कथा’, ‘उड्डदे बाजां मगर’, ‘साडे समियां विच’ और ‘लडांगे साथी’ प्रकाशित हुए हैं। हिन्दी में इनके काव्य संग्रह ‘बीच का रास्ता नहीं होता’ और ‘समय ओ भाई समय’ के नाम से अनुदित हुए हैं। उन्होंने ‘सिआड’, ‘हेम ज्योति’ और हस्तलिखित हाक पत्रिका का संपादन किया। पाश 1985 में अमेरिका चले गए। उन्होंने वहां एंटी 47 पत्रिका का संपादन किया. पाश ने इस पत्रिका के जरिए खालिस्तानी आंदोलन के खिलाफ सशक्त प्रचार अभियान छेडा।
शहीद भगत सिंह के शहादत दिवस यानी 23 मार्च के दिन ही सन 1988 में अमेरिका जाने से ठीक एक दिन पहले पंजाबी के कवि अवतार पाश आतंकवादियों की गोलियों का निशाना बनाये गये। वे शहीद हुए। यह सब संयोग हो सकता है। लेकिन पंजाब की धरती पर पैदा हुए पाश के द्वारा भगत सिंह के विचारों और उनकी परम्परा को आगे बढ़ाना कोई संयोग नहीं है। भगत सिंह ने बार-बार स्पष्ट किया था कि आज़ादी से उनका मतलब ब्रिटिश सत्ता की जगह देशी सामन्तों व पूंजीपतियों की सत्ता नहीं बल्कि शोषण उत्पीडऩ से करोड़ों मेहनतकशों की आज़ादी तथा मेहनतकश जनता के हाथों में वास्तविक सत्ता का होना है। भगत सिंह ने समाजवाद की बुनियाद पर समाज का निर्माण करने तथा मनुष्य के हाथों मनुष्य का, कौमों के हाथों कौमों का शोषण समाप्त करने के लिए क्रांति का आह्वान किया था। सपने और संघर्ष-भगत सिंह की दो आंखें थीं। आज़ाद हिन्दुस्तान और जनता की मुक्ति का यही सपना पाश का भी था। पाश ने कहा था ‘सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना/ तड़प का न होना/ सब कुछ सहन कर जाना/घर से निकलना काम पर/और काम से लौटकर घर आना/सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना’।
शहीद भगत सिंह के शहादत दिवस यानी 23 मार्च के दिन ही सन 1988 में अमेरिका जाने से ठीक एक दिन पहले पंजाबी के कवि अवतार पाश आतंकवादियों की गोलियों का निशाना बनाये गये। वे शहीद हुए। यह सब संयोग हो सकता है। लेकिन पंजाब की धरती पर पैदा हुए पाश के द्वारा भगत सिंह के विचारों और उनकी परम्परा को आगे बढ़ाना कोई संयोग नहीं है। भगत सिंह ने बार-बार स्पष्ट किया था कि आज़ादी से उनका मतलब ब्रिटिश सत्ता की जगह देशी सामन्तों व पूंजीपतियों की सत्ता नहीं बल्कि शोषण उत्पीडऩ से करोड़ों मेहनतकशों की आज़ादी तथा मेहनतकश जनता के हाथों में वास्तविक सत्ता का होना है। भगत सिंह ने समाजवाद की बुनियाद पर समाज का निर्माण करने तथा मनुष्य के हाथों मनुष्य का, कौमों के हाथों कौमों का शोषण समाप्त करने के लिए क्रांति का आह्वान किया था। सपने और संघर्ष-भगत सिंह की दो आंखें थीं। आज़ाद हिन्दुस्तान और जनता की मुक्ति का यही सपना पाश का भी था। पाश ने कहा था ‘सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना/ तड़प का न होना/ सब कुछ सहन कर जाना/घर से निकलना काम पर/और काम से लौटकर घर आना/सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना’।
भगत सिंह ने जिस नये व आज़ाद हिन्दुस्तान का सपना देखा था, पाश ने उसे ज़िंदा रखा। भगत सिंह ने इस संघर्ष को राजनीतिक हथियारों से आगे बढ़ाया। वहीं पाश ने यही काम कविता के द्वारा किया।
‘23 मार्च’ कविता में अवतार पाश कहते हैं-
‘23 मार्च’ कविता में अवतार पाश कहते हैं-
‘उसकी शहादत के बाद बाक़ी लोग
किसी दृश्य की तरह बचे
ताज़ा मुंदी पलकें देश में सिमटती जा रही झाँकी की
देश सारा बच रहा बाक़ी
देश सारा बच रहा बाक़ी
उसके चले जाने के बाद
उसकी शहादत के बाद
अपने भीतर खुलती खिडकी में
लोगों की आवाज़ें जम गयीं
उसकी शहादत के बाद
देश की सबसे बड़ी पार्टी के लोगों ने
अपने चेहरे से आँसू नहीं, नाक पोंछी
गला साफ़ कर बोलने की
बोलते ही जाने की मशक की
उससे सम्बन्धित अपनी उस शहादत के बाद
लोगों के घरों में, उनके तकियों में छिपे हुए
कपड़े की महक की तरह बिखर गया
शहीद होने की घड़ी में वह अकेला था ईश्वर की तरह
लेकिन ईश्वर की तरह वह निस्तेज न था’
लेकिन ईश्वर की तरह वह निस्तेज न था’
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‘प्यार आदमी को दुनिया में
विचरने लायक बनाता है या नहीं
इतना जरूर है कि
हम प्यार के बहाने
दुनिया में विचर ही लेते हैं।’
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‘आदमी के खत्म होने का फैसला
वक्त नहीं करता
हालात नहीं करते
वह खुद करता है
हमला और बचाव
दोनों आदमी खुद करता है।’
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‘जीने का एक और ढंग होता है
भरी ट्रैफिक में चौपाल लेट जाना
और स्लिप कर देना
वक्त का बोझिल पहिया।’
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‘मरने का एक और भी ढंग होता है
मौत के चेहरे से उलट देना नकाब
और ज़िंदगी की चार सौ बीस को
सरेआम बेपर्द कर देना।’
–लेखक आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक रहे हैं