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दुनिया के नक्शे पर छोटा सा नजर आने वाला नेपाल अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण संसार के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने मे सफल रहा है। यही कारण है कि नेपाल अब पर्यटन उद्योग के रूप मे विकसित हो रहा है तथा नेपाल की राष्ट्रीय आय का प्रमुख स्रोत बन चुका है। यह देश कभी 24 राज्यों में बंटा था। यहाँ 108 जातियाँ है, तथा जनसंख्या का 82 प्रतिशत हिन्दू है। प्रथम राजा पृथ्वी नारायण शाह के अथक प्रयासों से सभी राज्यों को संगठित करने का प्रयास किया गया, जिसमें वे सफल रहे। उन्हें नेपाल मे आज भी भगवान के समान दर्जा प्राप्त है और उन्ही के वंशज नेपाल में बतौर राजा शासन करते रहे हैं। कालान्तर मे नेपाल में राजतंत्र समाप्त हुआ, वर्तमान मे इस देश में प्रजातंत्र है लेकिन नेपाल वासियों का मानना है कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण नेपाल का विकास थम सा गया है।
मैंने नेपाल की लगभग 5 बार यात्रा की है। मैंने यह महसूस किया कि नेपाल बहुत कुछ बदल गया है। लेकिन एक बात सच लगी कि मुझे नेपाल सदैव अपना सा लगा। यहां के लोग ईमानदार है, इस बात को लेकर पूरी दुनिया मे उनकी पहचान भी है इसलिए संसार के विभिन्न देशों में नेपालियो पर भरोसा भी किया जाता है।
यहां की भौगोलिक स्थिति के कारण ना तो कृषि ठीक से हो पाती है और ना ही उद्योग स्थापित है। लेकिन समय के साथ नेपाल को पर्यटन उद्योग में तब्दील कर लिया गया है। पूरी दुनिया से लोग यहाँ घूमने आते हैं, यहां पहाड़ी खेती होती है।
जहाँ तक भारत से नेपाल का सम्बन्ध है, नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के कारण अपनी विदेश नीति में एक विशेष महत्त्व रखता है। दोनों देश न केवल एक खुली सीमा और लोगों की निर्बाध आवाजाही साझा करते हैं, बल्कि विवाह और पारिवारिक संबंधों के माध्यम से भी उनके बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्हें रोटी-बेटी का रिश्ता के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1950 की शांति और मित्रता की भारत-नेपाल संधि भारत और नेपाल के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है। वहीँ नेपाल 5 भारतीय राज्यों-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार के साथ सीमा साझा करता है। इसलिये सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है।
नेपाल में जहाँ तक पर्यटन स्थलों की बात है तो यहां भगवान शिव का पशुपति नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध है, इसके अलावा शम्भूनाथ मंदिर, नारायण मंदिर, दरबार पैलेस, काठमांडू दरबार, बुद्धेश्वर मंदिर, बौद्ध स्तूप, गुजयेश्वरी माता मंदिर प्रसिद्ध हैं। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे नेपाल के प्रथम उपराष्ट्रपति परमानन्द झा द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय समरसता पुरस्कार से सम्मानित होने का अवसर मिला। पूर्व प्रधानमंत्री बाबुराम भट्टराई से हुई मेरी मुलाकात भी यादगार रही। नेपाल प्रेस कौसिल ने भी मुझे सहयोग किया मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
भारत-नेपाल के बीच आर्थिक सहयोग
भारत और नेपाल ने आर्थिक सहयोग को बढ़ाते हुए वर्ष 2019 में कैबिनेट ने 1236 करोड़ के निवेश को भी मंजूरी दी, 490.2 मेगावाट अरुण-4 जलविद्युत परियोजना के विकास और कार्यान्वयन के लिये पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। भारत द्वारा रूपन्देही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का एक उपग्रह परिसर भी स्थापित करने की पेशकश की गई है, इसके अतिरिक्त, रेलवे क्षेत्र में तकनीकी सहयोग प्रदान करने वाले समझौतों, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में नेपाल के शामिल होने और पेट्रोलियम उत्पादों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
भारत-नेपाल संबंधों में चुनौतियां
राजपरिवार में 17 लोगों की हत्या के 2 वर्ष बाद यहाँ राजतन्त्र समाप्त हो गया था। दो लम्बे आन्दोलन के बाद नेपाल में प्रजातंत्र प्रणाली लागू हुई। चीन के प्रभाव से इस देश में कम्युनिस्ट समर्पित दल का शासन रहा और इसी कारण भारत से भी नेपाल के सम्बन्धो में पहले जैसी मधुरता नहीं रही थी। जबकि भूकंप के समय नेपाल में हुई तबाही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नेपाल की बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद भी की गई लेकिन चीन के प्रभाव के कारण दोनों देशों के सम्बन्धों में दूरी बनी रही। वहीँ भारत-नेपाल संबंधों में मुख्य चुनौतियों में से एक कालापानी सीमा मुद्दा भी है। नोटबंदी का भी नेपाल में प्रतिकूल असर रहा। वर्तमान समय में नेपाल के राष्ट्रपति प्रचंड के हाल ही के भारत दौरे से दोनों देशों में मधुर सम्बन्ध स्थापित हो पाए हैं। मोदी की पहल पर दोनों देशों के बीच फिर से बस सेवा वर्षाे बाद पुनः शुरू हो पाई है। इससे दोनों देशों के पर्यटकों के अलावा व्यापारी भी लाभान्वित हो रहे है।
कनेक्टिविटी, विकास और सहयोग
नेपाल तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है और एक तरफ तिब्बत की ओर खुला है जहाँ बहुत सीमित पहुँच है। भारत में काठमांडू को रक्सौल से जोड़ने वाला इलेक्ट्रिक रेल ट्रैक बिछाने के लिये दोनों सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। वहीँ सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाते हुए भारत ने काठमांडू-वाराणसी, लुंबिनी-बोधगया और जनकपुर-अयोध्या को जोड़ने के लिये तीन सिस्टर-सिटी समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। साझेदारी में भारत और नेपाल बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव ऑन मल्टी-सेक्ट्रल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन), सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिये दक्षिण एशियाई संघ) जैसे कई बहुपक्षीय मंचों को साझा करते हैं।