भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
बीकानेर संभाग की कुछ सीटें बीजेपी को बेचैन कर रही है। इनमें एक है हनुमानगढ़ जिले की नोहर सीट। पार्टी के लिए दिक्कत यह है कि तीन प्रमुख दावेदार मजबूत स्थिति में हैं। पार्टी एक को टिकट देती है तो दो नाराज हो जाएंगे। उनकी नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है। लिहाजा, पार्टी के दिग्गज इन तीनों ही प्रमुख नेताओं को साधने की कोशिश में जुटे हैं।
पार्टी उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट में पार्टी की अंदरुनी स्थिति अच्छी नहीं बताई गई है। अगर पार्टी एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरती है तो ही वह कांग्रेस को टक्कर देने में कामयाब हो सकती है। यानी कांग्रेस उम्मीदवार के सामने एकजुटता ही मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है।
अभिषेक मटोरिया: दो बार विधायक रह चुके हैं। तीसरी बार पार्टी ने टिकट दिया लेकिन हार गए। पराजित होने के बाद क्षेत्र में निष्क्रिय रहे। यह उनका माइनस पॉइंट हो गया। फिर भी उनकी लोकप्रियता है, इससे किसी को इनकार नहीं।
काशीराम गोदारा: विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए करीब ढाई दशक से प्रतीक्षा सूची में हैं। पार्टी ने इनकी उपयोगिता का ध्यान में रखा और संगठन में खूब खपाया। जिलाध्यक्ष व प्रदेश मंत्री बनाया। बीजेपी पंचायतीराज प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष हैं और केंद्र सरकार के उर्वरक मंत्रालय में भी डायरेक्टर पद पर आसीन हैं।
रामकृष्ण भाकर: भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे हैं। टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए और बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन चुनाव हार गए। पार्टी से दूर भी हुए लेकिन फिर मुख्यधारा में लौट आए। अब पिछले दस साल से लगातार नोहर क्षेत्र में सक्रिय हैं। हर गांव में टीम तैयार की। चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं।
मेहरूनिशा टाक: पार्टी के संभावित दावेदारों में यह प्रमुख रूप से चौथा नाम है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे की विश्वासपात्रों में गिनती होती रही है। यही वजह है कि राजे ने इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा देकर मदरसा बोर्ड का चेयरमैन बनाया था। चूंकि भाजपा मुस्लिम उम्मीदवारों से परहेज करती है इसलिए इनके नाम पर चर्चा जरूर होती है लेकिन टिकट मिलेगा, इसमें संशय है।