देवघर की जमीन से क्यों निकलती है राख!

भटनेर पोस्ट ब्यूरो. रांची.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे झारखंड दौरे पर थीं। इस दौरान उन्होंने देवघर जाकर बाबा बैद्यनाथ का दर्शन कर देश और प्रदेश की खुशहाली की कामना की। राजे ने ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया और इसे अपना परम सौभाग्य बताया। दरअसल, देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर की महिमा अनूठी है। राजे के बहाने इस मंदिर को लेकर फिर चर्चा शुरू हो गई है। आपको बता दें, देवघर पहले बिहार और अब झारखंड राज्य का हिस्सा है। यह मंदिर बरसों पुराना है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में से नौवां ज्यार्तिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ को बताया जाता है।

मान्यता है, इसकी स्थापना स्वयं श्रीविष्णु ने की थी। मान्यताओं के मुताबिक, यह शिव और शक्ति का मिलन स्थल है। बताया जाता है कि कहीं पर भी ज्योतिर्लिंग और शक्ति एक साथ नहीं है। देवघर ऐसा स्थान है जहां पर शिव से पहले शक्ति का वास है। 52 शक्तिपीठों में इसे हाद्रपीठ के रूप में जाना जाता है। बहुत सारे लोग इसे चिता भूमि के तौर पर भी जानते और मानते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, जब देवाधिदेव महादेव सती का शव लेकर तांडव कर रहे थे तो भगवान विष्णु के चक्र से खंडित होने पर देवी सती का हृदय देवघर में गिरा था। बाद में देवताओं ने विधान के साथ देवी के हृदय का अंतिम संस्कार किया था। इसलिए इस जगह को चिता भूमि भी कहते हैं। दावा किया जाता है कि देवघर में मिट्टी खोदने पर जमीन से राख निकलती है। जहां पर सती के शव का हृदय गिरा वहीं पर बाबा बैद्यनाथ की स्थापना की गई। इसलिए इस स्थान का बेहद खास महत्व है।  

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