भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
गहलोत सरकार में पायलट समर्थक मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को भला कौन नहीं जानता है। वही गुढ़ा जो कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चहेते हुआ करते थे। जब सचिन पायलट ने बगावत किया तो गुढ़ा गहलोत खेमे में बैठकर पायलट पर निशाना साधते रहे। वही गुढ़ा जो अपने पांच विधायक साथियों के साथ बसपा छोड़कर गहलोत को समर्थन देने आए थे। वही गुढ़ा जो पिछले कुछ महीनों से पायलट खेमे में गहलोत के खिलाफ आवाज बुलंद करने में सबसे आगे हैं।
लेकिन इस वक्त गुढ़ा किसी और वजह से चर्चा में हैं। दरअसल, उन्होंने सांसद असदुद्दीन ओवैसी के साथ मुलाकात की और चर्चा में आ गए। दिलचस्प बात है कि एक होटल में करीब एक घंटे वे ओवैसी के साथ रहे। जब बाहर आए और पत्रकारों ने बातचीत का ब्यौरा पूछा तो उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘जब दो राजनेता आपस में मिलते हैं तो फिर राजनीति की ही बात होगी, मौसम पर तो चर्चा करेंगे नहीं।’ उनकी चंद बातों से सियासी चर्चाओं को पंख लग गया।
तो क्या, गुढ़ा अब ओवैसी खेमे में अपना सियासी तकदीर देख रहे हैं ? राजनीति के जानकार बताते हैं कि गुढ़ा के मन में क्या चल रहा है, वे किसी को बताते नहीं। वे जानबूझकर ऐसा बयान देते हैं जिनसे वे चर्चा में बने रहें लेकिन जितना बड़बोलनापन वे दिखाते हैं, उतने ही बड़े घाघ भी हैं। उनकी नजर कांग्रेस टिकट पर है। लेकिन गहलोत से ‘पंगा’ लेने के बाद वे ‘असहज’ महसूस कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि पायलट खेमा कमजोर पड़ जाएगा और कहीं वे टिकट से वंचित न रह जाएं। ऐसे में वे पायलट की तरह ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ कर रहे हैं। उन्हें पता है, ओवैसी का राजस्थान में कोई भविष्य नहीं। हां, वे कांग्रेस के मुस्लिम वोटर्स के एक सीमित वर्ग को जरूर आकर्षित कर सकते हैं। ऐसे में गुढ़ा कांग्रेस आलाकमान तक अपनी उपयोगिता दिखाने का मैसेज देना चाहते थे, जिसे देने में वे सफल रहे।
दूसरी तरफ, वरिष्ठ पत्रकार विमल चौहान” भटनेर पोस्ट” से कहते हैं, ‘गुढ़ा जो कुछ करते हैं, सोच समझकर करते हैं। ओवैसी से मिलना और फिर पत्रकारों को राजनीतिक मुलाकात बताना बहुत कुछ कहता है।’ जाहिर है, अभी उनकी नजर राजनीतिक हवा के रुख पर है, उसी हिसाब से वे निर्णय भी लेंगे। हां, ओवैसी के साथ मुलाकात के साथ उन्होंने अपना मंसूबा जाहिर कर दिया है।