भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
डॉक्टरों की हड़ताल पर सादुलशहर थाना प्रभारी रघुवीर बिका की टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसे लोग शिद्दत से साझा कर रहे हैं। ‘भटनेर पोस्ट’ ने थाना प्रभारी रघुवीर बिका से बात की तो उन्होंने इस तरह की टिप्पणी लिखने से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा ‘मैंने कोई पोस्ट नहीं की है लेकिन जिसने भी लिखी है, जनता का दर्द लिखा है। जनता को राइट टू हेल्थ बिल के समर्थन में अपनी बात कहनी चाहिए।’ जाहिर है, जिस पोस्ट को लोग एसएचओ रघुवीर सिंह बिका के नाम से वायरल कर रहे हैं, थाना प्रभारी ने नहीं बल्कि किसी और ने जनता के भाव को शब्द देने की कोशिश की है। लिहाजा, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही उस टिप्पणी को आप भी पढ़िए। उसे हूबहू प्रकाशित किया जा रहा है।
हड़ताल
…कल रात मुझे एक सपना आया.. कि.मेरी पोस्टिंग…… शहर कोतवाली मे एक….. एस.आई.के रूप मे हो गई है। मेरी पोस्टिंग के …कुछ दिनो बाद डाक्टरों ने पहली बार इस तरह की मानवताविहीनन… हड़ताल की .. जिसकी वजह से कई मासुमो को अपनी जान से हाथ धोना पडा। प्रदेश मे चल रही डाक्टरों की हड़ताल कुछ दिनो बाद खत्म हो गई …सरकार ने डाक्टरों की सभी मांगे मान ली है ….सब कुछ पहले की तरहा सुचारू होगया ….था। मेरे घर के नजदीक मेरे शहर के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित सरकारी डाक्टर का घर था।
डाक्टर साहब की दो जवान बेटियां व पत्नी थी …जो डाक्टर सहाब के साथ उसी घर मे रहती थी …बेटिया व पत्नी तीनो ही बहुत सुन्दर थी। हमारे मोहल्ले के कुछ अपराधी प्रवृति के लड़के हमेशा उन तीनो को भूखे भेड़ियों की तरह घूरते रहते थे।
…..लेकिन कानून के डर की वजह से वह उनका कुछ नही कर पा रहे थे ……….
……अचानक कुछ दिनो बाद पुलिस फोर्स ने भी सरकार से कुछ मांगो को लेकर हड़ताल कर दी है ….वैसे तो पुलिस फोर्स मे कभी हडताल नही होती……….. लेकिन ….फोर्स ने सोचा की जब डाक्टर जितनी जिम्मेदार पोस्ट के लोग अपने छोटे से लालच के लिये हड़ताल जैसा कदम उठा सकते है ….तो …पुलिस फोर्स क्यो नही हड़ताल कर सकती यही सोच कर सब हडताल …पर चले गऐ….
पुलिस के हड़ताल पर जाते ही हर तरफ अपराध का बोलबाला….हर तरफ लूट खसोट, छीनाझपटी का माहौल ….बन गया। मैं भी थाने से अपने घर के लिये यह सोच कर निकलाकि दो चार दिन तक आराम करूंगा …..यही सोच कर अपने घर की और पैदल ही निकल पडा।
अचानक मेरे कानो मे किसी के चीखने पुकारने की आवाज आई ….यह आवाज मेरे पड़ोस मे रहने वाले डाक्टर सहाब के घर से आ रही थी ….मैं जब वहां दौड़ कर पहुँचा तो मेरे होश ऊड गए …..डाक्टर साहब एक कुर्सी पर लहु लुहान पड़े हुऐ …..उनकी दोनो बेटियां और पत्नी की इज्जत को लुटने के लिये कुछ भूखे भेडिये आतुर थे……जिन्होने उनके बदन से सभी कपडे भी एक हवसी की तरह फाड दिये थे….
वो मासूम बच्चियो ने मुझे देखकर जोर से आवाज लगाई…..अंकल हमे इन शैतानो से बचा लो …हम आपके हाथ जोडते है….
यह सब देख..कर मेरी आखों …मे लहू उतर आया। लेकिन मुझे देखकर वो गुंडे बहुत तेज हंसने लगे ….और हंसते . हुऐ कहने लगे कि यह ….इन्सपेक्टर तुम्हारी कुछ मदद नही कर सकता। यह भी तुम्हारे पापा की तरह आज हडताल पर है ….और जब तक इनकी मांगे सरकार नही मानेगी तब तक यह अपनी हडताल नही तोडगे ….समझी!.
…उस अपराधी की बात जैसे ही मेरे कानो मे गई मेरे मदद के बडे कदम रूक गए ….और मुझे याद आया की हम तो हडताल पर हैं।
लेकिन एक बार फिर उस मासूम बच्ची की आवाज मेरे दिल तक पहुंची और दिल ने कहाकि हमारी …..मांगे और आवश्यकता तो हमेशा यूं ही बनी रहेगी।
लेकिन मेरी गैर जिम्मेदारी …और अपने कर्तव्य से मुहं मोड ….लिया …तो तीन मासूमों की जिन्दगियां ….नरक हो जाएंगी। इस कशमकश के बीच मेरा हाथ कब मेरी सर्विस रिवाल्वर पर चला गया, पता ही न चला। मैंने…लगातार उन दरिंदो पर फायर किये …जिसकी वजह से दो दरिंदे वही ढेर हो गऐ और बाकी के चार मौका देखकर फरार ….हो गए। उन …तीनो मासूमो ने भरी आंखो से और हाथ जोड कर मेरा ….आभार व्यक्त किया।
मैं वहां से वापस अपने थाने पर अपनी डूयुटी पर आ गया। मेरे साथियों ने हडताल ….के बारे मे मुझसे कहा …..तो मैंने कहाकि कुछ पेशे ……शायद पैसा कमाने के लिये नही ……सिर्फ ….और ….सिर्फ ….सेवा के लिये होते हैं। वो सेना की नौकरी बॉर्डर पर खड़े होकर देश की रक्षा करना हो …..या ….डाक्टर की नौकरी …..जो …मरीज को मौत के मुंह से निकाल लाता है…..डाक्टरों …..की ..हडताल से…….किसी का इकलौता बेटा….या ..बेटी…..या ….किसी मां बाप….या किसी मासूम ….की …जान जा सकती है ….इन लोगो की हडताल मे इन सब निर्दोष लोगों का क्या दोष है ?
………सियाचिन की बॉर्डर पर कपकपाती ठंड मे खड़ा वो सैनिक पैसा कमाने के लिये नौकरी नही कर रहा …..वो इसलिये नोकरी कर रहा है ताकि उसके त्याग से उसके देश के और भाई …बहन सुकून से रह सके …सेवा का और देशभक्ति का भाव उसके मन मे है।
जय हिन्द ………..जय भारत…..देश के लिए जीना सीखें, देश के लिये मरें।
राइट-टू-हेल्थ-संजीवनी-है