भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
रचनात्मक कार्यों को आप किसी सीमा में कैद नहीं कर सकते। मसलन, भटनेर किंग्स क्लब के संरक्षक आशीष विजय को ही लीजिए। ‘आईपीएल’ की तर्ज पर उन्होंने चार साल पहले ‘बीपीएल’ की शुरुआत की थी। आलम यह है कि हनुमानगढ़ के क्रिकेटप्रेमियों को अब हर साल इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। ‘भटनेर प्रिमियर लीग’ यानी बीपीएल-4 का आगाज 5 नवंबर को हो रहा है। ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ के साथ बातचीत में आशीष विजय ने इस भव्य आयोजन को लेकर विस्तृत जानकारी दी। बकौल आशीष विजय, ‘खेल-खेल में समाज सेवा करने का सौभाग्य प्रदान करता है यह आयोजन। यही वजह है कि इसको लेकर सभी को इंतजार रहता है।’
आईपीएल की तर्ज पर बीपीएल। कैसे विचार आया ?
-आपको पता है कि भटनेर किंग्स क्लब का गठन ही क्रिकेट की वजह से हुआ था। हम कुछ लोग सेहत को लेकर चिंतित हुए और कुछ युवाओं की टीम बनाई ताकि हर संडे या छुट्टी के दिन क्रिकेट खेल सकें। उस वक्त तक हमें नहीं पता था कि परमात्मा हमसे क्या करवाना चाहता है। खेल शुरू हुआ तो बाकी लोगों का भी रुझान बढ़ा। इस तरह कुनबा बढ़ता गया। फिर विचार आया कि क्यों न इस एकता को संस्था में तब्दील किया जाए। और फिर इस तरह भटनेर किंग्स क्लब का जन्म हुआ। धीरे-धीरे हम सब सामाजिक कार्यों को भी हाथ में लेने लगे। कारवंा बढ़ता गया। अचानक मन में आया कि क्यों न आईपीएल की तर्ज पर बीपीएल का आयोजन हो। विचार साझा करते ही सब सहमत हो गए और फिर इसे मूर्त रूप दिया गया। यह चौथा आयोजन है। बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज खेल ग्राउंड में 5 से 9 नवंबर तक आयोजन होगा।
बीपीएल-4 की कैसी चल रही तैयारी ?
-तैयारी अच्छी चल रही है। कुल 12 टीमें तैयार हैं। सभी टीमें विनर बनने के लिए अपने हिसाब से अभ्यास कर रही हैं। इस तरह 216 खिलाड़ी मैदान में उतरेंगे। आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि भटनेर किंग्स क्लब और यूथ विंग दोनों को मिलाकर करीब 900 सदस्य हैं जो इस आयोजन का आनंद उठाएंगे।
बीपीएल-4 की खासियत क्या रहेगी ?
-इस बार हमने थीम में कुछ बदलाव किया है। मसलन, मैच की शुरुआत शहीदों की वीरांगनाओं के कर कमलों से करवाई जाएगी। हमने वीरांगनाओं को आमंत्रित किया है। उनका अलग से विशेष सम्मान होगा। टूर्नामेंट से अर्जित राशि को जरूरतमंद परिवार की बेटियों के विवाह में खर्च किया जाएगा। साथ ही अन्य वर्षों की तरह गोशालाओं और अन्य जरूरतमंदों के सहयोग में क्लब सदैव अग्रणी रहेगा।
अब तक तीन आयोजन हो चुके हैं। कैसा रहा अनुभव ?
-सच पूछिए तो साल भर हम सबको इसका इंतजार रहता है। ये चार-पांच दिन इस तरह व्यतीत होते हैं, पता नहीं चलता। तीन सीजन का अनुभव बेहद दिलचस्प रहा है। सभी टीमों का एकमात्र ध्येय रहता है कि किसी तरह टॉफी हासिल करना है। इसके लिए वे खूब मेहनत करते हैं। रोमांच और उत्साह को बता पाना संभव नहीं। हां, हम इतना कह सकते हैं कि पांच दिन इसी बहाने हम सब अपने लिए जीते हैं।