

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान के शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षकों की जवाबदेही तय करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब स्टूडेंट्स को दिए जाने वाले सेशनल मार्क्स (सत्रांक) पर शिक्षकों का भी मूल्यांकन होगा। अगर किसी टीचर ने 100 फीसद सत्रांक दिए और स्टूडेंट्स ने रिटन टेस्ट में 50 फीसद से कम अंक हासिल किए, तो संबंधित टीचर के खिलाफ जांच होगी और कार्रवाई भी तय मानी जाएगी। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि स्टूडेंट्स को सेशनल मार्क्स देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। अगर किसी स्टूडेंट को 20 में से 20 मार्क्स दिए जाते हैं, तो उसे फाइनल परीक्षा में पास होने के लिए 80 में से मात्र 13 अंक लाने होते हैं। यानी कुल 33 फीसद अंक के साथ पास हो जाने का रास्ता साफ हो जाता है। लेकिन अब यह नियम नहीं चलेगा।
50 फीसद से कम मार्क्स आने पर होगी जांच
अब अगर किसी टीचर ने स्टूडेंट्स को फुल सेशनल मार्क्स दिए और इसके बावजूद स्टूडेंट्स ने रिटन टेस्ट में 50 फीसद से कम अंक हासिल किए, तो टीचर और स्टूडेंट से शिक्षा विभाग द्वारा पूछताछ होगी। अगर जांच में पाया गया कि टीचर ने सही ढंग से पढ़ाई नहीं करवाई या अनुचित तरीके से मार्क्स दिए, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रमोशन में भी जुड़ा रिजल्ट का समीकरण
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब स्टूडेंट्स का प्रदर्शन सिर्फ उनकी ग्रेडशीट तक सीमित नहीं रहेगा। टीचर्स की प्रमोशन प्रक्रिया भी अब स्टूडेंट्स के रिजल्ट पर निर्भर करेगी। लंबे समय से प्रमोशन की प्रतीक्षा कर रहे 50,000 से अधिक कर्मचारियों और शिक्षकों को प्रमोट किया जाएगा, लेकिन उनकी योग्यता और स्टूडेंट्स के प्रदर्शन को प्राथमिकता दी जाएगी। शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे इन नवाचारों से स्कूलों में पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों को बढ़ावा मिलेगा। अब शिक्षकों को सिर्फ मार्क्स देने की औपचारिकता निभाने के बजाय, स्टूडेंट्स की वास्तविक प्रगति पर ध्यान देना होगा। इससे राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की उम्मीद की जा रही है।

