हनुमानगढ़ में ‘बड़ी दीदी’ के तौर पर लोकप्रिय शिक्षाविद् चंद्रकला बिश्नोई का निधन

image description

भटनेर पोस्ट न्यूज सर्विस.
हनुमानगढ़ में करीब चार दशक तक अध्यापन से जुड़ी रहीं चंद्रकला बिनोई का निधन हो गया है। 18 अक्टूबर को सुबह जंक्शन में डिस्टिक्ट पार्क के पास स्थित बिश्नोई शमसान भूमि में अंतिम संस्कार किया जाएगा। टाउन स्थित इंदिरा चौक के पास स्थित आवास से सुबह 9 बजे शवयात्रा रवाना होगी। गौरतलब है कि चंद्रकला बिश्नोई लंबे समय तक टाउन स्थित नेहरू चिल्डन सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल रहीं। कुशल प्रशासक के तौर पर इनकी पहचान रही। हनुमानगढ़ में हजारों बच्चों को शिक्षा देने वालीं ‘बड़ी दीदी’ के संबोधन से लोकप्रिय चंद्रकला बिष्नोई राजनीति में भी रुचि रखती थीं। उन्हें राज्यसभा सदस्य के लिए टिकट दिया गया था लेकिन वे जीत नहीं पाईं। बाद में नगरपालिका चुनाव भी लड़ा लेकिन सफलता नहीं मिल पाईं। उनके पति हेतराम धारणियां सामाजिक कार्यकर्ता हैं और पेशे से अधिवक्ता रहे हैं। तीन संतान में बेटी अनीता बिश्नोई, बेटे मनोज धारणियां और मनीष धारणियां हैं। दामाद मांगीराम बिश्नोई जोधुपर डिस्कॉम में एसई पद से रिटायर हुए हैं। वहीं पुत्र मनीष धारणियां कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं।
धारणियां परिवार का टाउन स्थित इंदिरा चौक के पास आवास है लेकिन कुछ समय से पूरा परिवार जयपुर शिफ्ट हो गया था और चंद्रकला बिश्नोई अस्वस्थ थीं। गुरुवार दोपहर बाद ज्यों ही उनके निधन की खबर आई, पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। सामाजिक कार्यकर्ता पवन खुराना ने कहाकि शिक्षा की अलख जगाने वाली ‘बड़ी दीदी’ आज खुद चिरनिद्रा में चली गईं। उनके जाने से क्षेत्र ने महान शिक्षाविद् खो दिया है। वे नारी शक्ति की जीती जागती मिसाल थीं। उनमें आदर्ष शिक्षक के सभी गुण विद्यमान थे।’
दैनिक तेज के संपादक व डिस्टिक्ट प्रेस क्लब के अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने चंद्रकला बिश्नोई के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा-‘बड़ी दीदी’ का नश्वर शरीर भले नष्ट हुआ हो लेकिन उनका कृतित्व हमेशा अमर रहेगा। वे अपनी व्यवहारकुशलता और शिक्षा के क्षेत्र में दिए योगदान के साथ हमेशा सबके अंतर्मन में बिराजमान रहेंगी।’
व्यापारी नेता बालकिशन गोल्याण ने कहा-‘हम सबकी ‘बड़ी दीदी’ का अचानक परलोक गमन स्तब्ध करने वाली खबर है। मृत्यु पर किसी का जोर नहीं। इतना जरूर है कि चार दशक से शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के कारण बड़ी दीदी सदैव यादों में बनी रहेंगी। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी बिसराया न जा सकेगा।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *