धूम्रपान और प्रदूषण: फेफड़ों के सबसे बड़े दुश्मन

डॉ. एमपी शर्मा.
आज के तेज़ रफ्तार जीवन और प्रदूषित माहौल में फेफड़ों के रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। उनमे से सबसे गंभीर और जानलेवा बीमारी है, फेफड़ों का कैंसर। यह दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों के मुख्य कारणों में से एक है। अच्छी बात यह है कि यदि समय पर इसकी पहचान हो जाए तो इसका इलाज संभव है। जब फेफड़ों की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक गांठ या ट्यूमर बना लेती हैं, तो उसे फेफड़ों का कैंसर कहा जाता है। यह कैंसर धीरे-धीरे फेफड़ों के अन्य हिस्सों, लसीका ग्रंथियों और शरीर के अन्य अंगों में फैल सकता है।
फेफड़ों के कैंसर के मुख्य कारण
धूम्रपान: फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। सिगरेट, बीड़ी, हुक्का या अन्य किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करने से यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
प्रदूषण: वायु प्रदूषण, धूल, धुआं और औद्योगिक रसायन जैसे एस्बेस्टस और रेडॉन गैस के संपर्क से भी कैंसर हो सकता है।
अनुवांशिक कारण: अगर परिवार में किसी सदस्य को फेफड़ों का कैंसर रहा हो तो इसका खतरा बढ़ सकता है।
खानपान और जीवनशैली: असंतुलित आहार, व्यायाम की कमी, शराब सेवन और मोटापा भी जोखिम बढ़ाते हैं।
लक्षण: लगातार खांसी रहना (3 हफ्ते से अधिक), खांसी में खून आना, सांस फूलना या घबराहट, छाती में लगातार दर्द, आवाज भारी होना, अचानक वजन घटना, थकान और कमजोरी, फेफड़ों में बार-बार संक्रमण। यह लक्षण सामान्य सर्दी-खांसी या टीबी जैसे रोगों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, इसलिए समय रहते डॉक्टर से जांच कराना बेहद ज़रूरी है।
कैसे बचाव करें?
धूम्रपान से परहेज करें। ताजगी भरी हवा में नियमित व्यायाम करें। एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर युक्त भोजन अपनाएं। अधिक प्रदूषण वाले इलाकों में मास्क पहनें। अपने घर में रेडॉन गैस की जांच कराएं। समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं, खासकर यदि धूम्रपान की आदत रही हो।
जांच: एक्स-रे से फेफड़ों में असमान्य बदलाव दिखाता है। सीटी स्कैन से गांठ या ट्यूमर का स्पष्ट चित्र। ब्रोंकोस्कोपी से फेफड़ों के अंदर कैमरा द्वारा जांच। बायोप्सी से ऊतक का नमूना लेकर कैंसर की पुष्टि। पीईटी-सीटी से स्कैन कैंसर के फैलाव का पूरा आकलन। स्पुटम साइटोलॉजी से बलगम की जांच से कैंसर कोशिकाओं का पता चलता है।
उपचार: सर्जरी से शुरुआती स्टेज पर संक्रमित हिस्से को हटाना। कीमोथेरेपी से दवाओं के ज़रिए कैंसर कोशिकाओं को खत्म करना। रेडिएशन थेरेपी से विकिरण की मदद से कैंसर का इलाज। इम्यूनोथेरेपी से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कैंसर से लड़ाना। टारगेटेड थेरेपी से विशेष दवाओं से कैंसर कोशिकाओं के जीन या प्रोटीन पर सीधा असर डालना।
फेफड़ों का कैंसर घातक ज़रूर है, लेकिन यदि समय रहते इसकी पहचान हो जाए तो उपचार संभव है। धूम्रपान छोड़ना, साफ हवा में रहना, संतुलित आहार और नियमित जांच ही इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा उपाय हैं। याद रखें, ‘रोकथाम इलाज से बेहतर है।’ यदि आपको या आपके किसी परिजन को उपरोक्त लक्षण दिखें, तो तुरंत योग्य चिकित्सक से संपर्क करें। फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूक होना आपकी और आपके परिवार की जिंदगी बचा सकता है। स्वास्थ के प्रति सतर्क रहिए, धूम्रपान से दूर रहिए और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहिए।
-लेखक जाने-माने सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं

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