




अश्विनी पारीक.
जब-जब भारत के भविष्य की बात होगी, तब-तब राजीव गांधी का नाम श्रद्धा से लिया जाएगा। एक ऐसा नेता जो न तो राजनीति में आना चाहता था, न ही सत्ता का लोभी था, लेकिन जब देश ने पुकारा, तो वह आगे बढ़ा और पांच साल में वो कर दिखाया जो कई दशक में नहीं हो सका। राजीव गांधी जी को राजनीति का नौसिखिया कहा गया, लेकिन सच्चाई ये है कि वो भविष्य की राजनीति का सबसे परिपक्व सोच रखने वाले नेता थे। उनका पहनावा बिल्कुल सादा, सफेद कुर्ता-पायजामा, चेहरे पर शांत मुस्कान, और बातों में कोई बनावट नहीं। सज्जनता ऐसी कि विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। राजीव जी को देखकर कभी नहीं लगता था कि ये देश के प्रधानमंत्री हैं, लगता था जैसे घर का कोई बड़ा बेटा है जो सबकी चिंता करता है।
राजीव गांधी ने उस दौर में कम्प्यूटर और टेलीकॉम क्रांति की नींव रखी, जब लोग इसे ‘बेरोजगारी फैलाने वाला फैसला’ मानते थे। उन्होंने दूरदर्शिता से देश को 21वीं सदी की ओर मोड़ा। उनके प्रयासों की वजह से आज हर गांव में मोबाइल है, इंटरनेट है, और हर हाथ में स्मार्टफोन है। वो न होते तो शायद आज का डिजिटल इंडिया केवल एक सपना ही रह जाता।
राजीव गांधी ने कहा था, ‘इक्कीसवीं सदी का भारत तैयार करना है’, और उन्होंने इसकी शुरुआत की। कम्प्यूटर को सरकारी दफ्तरों में लाने का फैसला किया, पीसीओ कल्चर की नींव रखी, और देश के युवा को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए तमाम संस्थान बनाए।
राजीव जी के प्रधानमंत्री बनते ही देश के युवा खुद को व्यवस्था के करीब महसूस करने लगे। उन्होंने वोटिंग की उम्र 21 से घटाकर 18 कर दी। इससे करोड़ों युवाओं को राजनीति में अपनी बात रखने का हक मिला। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं था, यह एक सोच थी, देश का भविष्य युवाओं के हाथ में देने की। यही नहीं, उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में भी क्रांतिकारी बदलाव किए। नवोदय विद्यालयों की शुरुआत की ताकि गांव के गरीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिले। आज देश के कोने-कोने में फैले ये विद्यालय उनके उसी सपने की मिसाल हैं।

राजीव गांधी का मानना था कि दिल्ली से चलाए जाने वाले फैसले गांव के आम आदमी तक नहीं पहुंचते। इसलिए उन्होंने पंचायती राज की अवधारणा को मज़बूती दी। ‘हम दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं, तो गरीब तक केवल पंद्रह पैसा पहुंचता है’ ये बात उन्होंने संसद में कहकर प्रशासनिक तंत्र की खामियों को उजागर किया। उन्होंने कोशिश की कि गांव, पंचायत और नगरपालिकाओं को सीधे अधिकार मिलें, ताकि आम आदमी अपने फैसले खुद ले सके। आज जिस तरह से ग्राम सभाएं और पंचायतें सशक्त हुई हैं, उसकी नींव उन्हीं की दूरदर्शी सोच में छुपी है।
राजीव गांधी विकास में विज्ञान और तकनीक की अहमियत को समझते थे। उन्होंने भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई। चाहे वो एशिया पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भागीदारी हो या पर्यावरण जैसे मुद्दों पर वैश्विक नेतृत्व की बात राजीव गांधी हर मंच पर भारत की आवाज बनकर उभरे। उन्होंने साफ कहा, ‘भारत को विकास की नई परिभाषा चाहिए, जिसमें तकनीक, युवा और गांव तीनों शामिल हों।’ उनकी नीतियां इसी सोच के इर्द-गिर्द घूमती थीं। आईटी सेक्टर, टेलीकॉम और एजुकेशन हब बनाने की दिशा में जो शुरुआत उन्होंने की, वो आज की भारत की बुनियाद बन चुकी है।
राजीव गांधी नरम दिल इंसान थे, लेकिन जब बात देश की एकता और अखंडता की आती थी, तो वो किसी भी तरह का समझौता नहीं करते थे। पंजाब में आतंकवाद हो या श्रीलंका में तमिल समस्या, उन्होंने दृढ़ता से फैसले लिए। श्रीलंका में शांति सेना भेजना एक साहसिक कदम था, जिसकी राजनीतिक कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी। लेकिन देशहित में उन्होंने कोई समझौता नहीं किया।
राजीव गांधी में सत्ता का घमंड नहीं था। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वो लोगों से सहजता से मिलते थे, बच्चों से बात करते थे, और सामान्य लोगों की परेशानियों को सुनते थे। वो केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक भावुक इंसान थे जो हर भारतीय के सपनों को अपनी जिम्मेदारी मानते थे।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जिस तरह उन्होंने देश को संभाला, वो काबिले तारीफ था। पूरे देश में तनाव था, लेकिन राजीव जी ने सबको साथ लेकर चलने का काम किया। उन्होंने न केवल कांग्रेस को एकजुट रखा, बल्कि देश को भी टूटने से बचा लिया।
राजीव गांधी को राजनीति में अनुभवहीन कहा गया। बोफोर्स मुद्दे पर घेरा गया। लेकिन आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो पाते हैं कि उनके इरादे साफ थे, उनका विज़न बड़ा था, और उनका योगदान अतुलनीय था। जो लोग उनकी आलोचना करते थे, आज उन्हीं की राह पर चलकर देश को आगे ले जाने की बात करते हैं।
राजीव गांधी का जीवन अधूरा छूट गया। 1991 में जब वो दोबारा देश को नेतृत्व देने की तैयारी में थे, तब एक कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले में उनकी जान ले ली गई। आज भी जब देश डिजिटल हो रहा है, जब गांव तक इंटरनेट पहुंच रहा है, जब युवा स्टार्टअप की बात कर रहे हैं, तो राजीव गांधी की याद आती है।
राजीव गांधी ने सत्ता को सेवा का माध्यम माना। उन्होंने राजनीति को आधुनिकता की राह पर डाला और भारत को 21वीं सदी का रास्ता दिखाया। वो प्रधानमंत्री कम, और प्रेरणास्रोत ज्यादा थे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर नीयत साफ हो, सोच आधुनिक हो और दिल में देश होकृतो पांच साल भी इतिहास रच सकते हैं।
आज जब हम उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हैं, तो नमन करते हैं उस सादगी के प्रतीक को, जिसने सियासत को सेवा बना दिया, और भारत को भविष्य से जोड़ा। राजीव गांधी अमर रहें। भारत मां के इस सपूत को कोटि-कोटि प्रणाम।
-लेखक कांग्रेस सेवादल हनुमानगढ़ के जिलाध्यक्ष हैं



