संस्कृति, समर्पण और सज्जनता का मिश्रण यानी राजस्थान

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गोपाल झा.
राजस्थान। ये है वीरों की धरती। यहां पर जीवंत है, संस्कृति की आत्मा और संस्कारों की परंपरा। यहां की रेत में सिर्फ धूल नहीं उड़ती, बल्कि इतिहास की अनगिनत गाथाएं भी हवा में तैरती हैं। इस प्रदेश की हर बूँद में भक्ति है, हर कण में त्याग है और हर सांस में बलिदान है। लेकिन राजस्थान सिर्फ अतीत की गौरवशाली कहानियों तक सीमित नहीं है, यह आज भी सज्जनता और सरलता का ऐसा प्रतीक है, जहां मानवता सर्वाेपरि है।
राजस्थान की मिट्टी में गंगा-जमुनी तहजीब की ऐसी खुशबू घुली हुई है, जो सैकड़ों सालों से लोगों के दिलों में आपसी भाईचारे और सौहार्द का संदेश देती आ रही है। इस राज्य में धर्म की दीवारें नहीं, दिलों के दरवाजे खुले रहते हैं। यहां मंदिरों की घंटियों और मस्जिदों की अज़ानों के बीच हमेशा एकता की गूंज सुनाई देती है। यही तो राजस्थान है, जहां संस्कृति में समर्पण है और समाज में सज्जनता।
राजस्थान की खुशहाली का सबसे बड़ा श्रेय यहां की जनता को जाता है। यह वही जनता है, जिसने समय-समय पर संकट के समय एकजुट होकर मिसाल कायम की है। रेगिस्तान की तपती दोपहर में पसीना बहाकर खेतों में फसल उगाने वाले किसान हों या मिट्टी से कला को जीवंत करने वाले कारीगर। राजस्थान की आत्मा इन्हीं लोगों में बसती है।
यहां की महिलाएं आज भी पारंपरिक मूल्यों को संजोए हुए घर-परिवार की धुरी बनी हुई हैं। साथ ही, वे शिक्षा और सामाजिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। गांवों में पंचायती राज व्यवस्था के जरिए जनता ने लोकतंत्र को मजबूत किया है और हर स्तर पर जनभागीदारी की मिसाल पेश की है।
राजनीति: राजस्थान की राजनीति ने देश को कई महान नेता दिए हैं, जिन्होंने राज्य की उन्नति के लिए समर्पित भाव से कार्य किया। भले ही राजनीति का माहौल देशभर में समय-समय पर कलुषित होता रहा हो, लेकिन राजस्थान की राजनीति में आज भी एक विशेष शुचिता देखने को मिलती है। यहां के राजनेता जनभावनाओं को समझते हैं और सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं। चाहे जल संकट से निपटने के लिए इंदिरा गांधी नहर परियोजना हो या ग्रामीण विकास की दिशा में चलाए जा रहे जनकल्याणकारी कार्यक्रम। राजस्थान के राजनेताओं ने हमेशा प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए दूरदर्शी सोच का परिचय दिया है। साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में भी नेतृत्व ने अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई है।
ब्यूरोक्रेसी: राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी भी अपनी कर्तव्यपरायणता और सेवा भाव के लिए जानी जाती है। जब देशभर में ब्यूरोक्रेसी को लेकर नकारात्मक धारणाएं बनने लगी हैं, तब राजस्थान की प्रशासनिक मशीनरी ने ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ जनता की सेवा कर एक अलग मिसाल कायम की है। यहां के अधिकारियों ने कई बार कठिन परिस्थितियों में भी जनता के हित में साहसिक निर्णय लेकर साबित किया है कि वे सिर्फ सरकारी अफसर नहीं, बल्कि जनता के सेवक हैं। चाहे वह कोविड-19 के समय संकट प्रबंधन हो या आपदा राहत के कार्य। राजस्थान के ब्यूरोक्रेट्स ने हमेशा अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
समृद्धि का द्वार: राजस्थान की खुशहाली में यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर और माउंट आबू जैसे पर्यटन स्थलों ने न केवल राज्य को आर्थिक मजबूती दी है, बल्कि देश-विदेश में राजस्थान की संस्कृति को प्रतिष्ठित किया है। यहां का लोक संगीत, कठपुतली कला, गेर नृत्य और मांड गायन आज भी राजस्थान की आत्मा को जीवंत बनाए हुए हैं। विदेशी पर्यटक यहां की संस्कृति, किले और महलों की भव्यता में डूबकर इस धरती की सुंदरता का अनुभव करते हैं, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिली हैं।
सेवा का जज्बा: राजस्थान की खुशहाली में स्वयंसेवी संगठनों और समाजसेवकों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। कई संगठनों ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में इन संगठनों ने असाधारण योगदान दिया है। राजस्थान की पहचान उसकी संस्कृति, संस्कार और सरलता में है। आने वाले समय में भी यह राज्य अपनी शुचिता, ईमानदारी और सामाजिक समरसता को बनाए रखते हुए, देश को प्रगति और मानवता का संदेश देता रहेगा।
राजस्थान। यानी राजा का स्थान। और इस राज्य के राजा हैं यहां के लोग। जनता जनार्दन। जब तक यह जनता भाईचारे और मानवता का भाव बनाए रखेगी, तब तक राजस्थान देश के शीर्ष पर बना रहेगा। तभी तो कवि कन्हैयालाल सेठिया साहब की पंक्तियां हमारी आंखों को नम कर देती हैं, जब वे कहते हैं
ईं पर तनड़ो मनड़ो वारां,
ईं पर जीवण प्राण उवारां,
ईं री धजा उडै गिगनारां,
धरती धोरां री ! धरती धोरां री !
आइए, धोरों की इस पावन माटी का कर्ज चुकाएं। मन, कर्म और वचन से इस माटी के गौरव को बनाए रखने में अपना योगदान दें। राजस्थान दिवस की बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं। जय-जय राजस्थान, जय हिन्द-जय भारत।

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