भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ नगरपरिषद में चेहरा बदलते ही सब कुछ बदल गया। सभापति पद से गणेशराज बंसल के हटते ही सिस्टम बदल गया। कभी बंसल के इशारे पर चलने वाले अधिकारी-कर्मचारी अब पार्षदों यहां तक के सभापति को भी कुछ नहीं समझते। इस तरह की बातें शहर में आम है लेकिन पहली बार पार्षदों ने अपनी चुप्पी तोड़ी। दरअसल, उन्हें चुनाव नजदीक होने का भय भी सता रहा है। लिहाजा, साधारण सभा की बैठक में अधिकांश पार्षद बोर्ड के कामकाज से नाखुश नजर आए। सभापति समर्थित पार्षदों ने ही आयुक्त और अधिकारियों-कर्मचारियों पर खुलेआम भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उनका कहना था कि नगरपरिषद में जब पार्षदों की सुनवाई नहीं हो रही है तो फिर आम जनता का क्या होता होगा, कहने की जरूरत नहीं। पार्षदों ने दो टूक कहाकि चुनाव नजदीक है, उन्हें फिर जनता का सामना करना है, अधिकारियों और कर्मचारियों का यही रवैया रहा तो फिर वे क्या जवाब देंगे? खास बात है कि सभापति सुमित रणवां की अध्यक्षता में हुई बैठक में विधायक गणेशराज बंसल भी मौजूद रहे। आयुक्त सुरेंद्र यादव ने अपना पक्ष रखा लेकिन पार्षदों ने उन्हें खारिज कर दिया। वरिष्ठ पार्षद मदन बाघला ने अधिकारियों पर खुलेआम भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने कहाकि पैसे के बिना कोई बात नहीं करता। शर्मनाक स्थिति है। बाघला ने विधायक से दो टूक कहाकि विधायकजी, जो अधिकारी-कर्मचारी काम करने में जी चुराता है, उसे पद से तत्काल हटाओ। वरना इनकी गलती का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है और बाद में हम भी उठाएंगे। इस दौरान विधायक पूरी तरह शांत नजर आए। कांग्रेस के पार्षद सुरेंद्र गोंद ने आयुक्त और सहायक नगर नियोजक पर काम नहीं करने का आरोप लगाया। गोंद ने कहाकि दोनों की कार्यशैली से यह प्रतीत होता है जैसे इन्होंने सोच ही लिया है कि काम नहीं करना। ऐसे अधिकारियों के रहते नगरपरिषद कैसे चलेगी। उन्हांेंने आरोप लगाया कि आयुक्त का टाउन में मन नहीं लगता। वे ज्यादातर समय जंक्शन में व्यतीत करना पसंद करते हैं। इसलिए टाउन में उनके टेबल पर फाइल के ढेर लगे हुए हैं।
नगरपरिषद की बैठक में कई मसलों पर आम सहमति बनी। सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। इनमें शहर की दुकानों पर मल्टीनेशनल कंपनी के बोर्ड लगाने पर नगर परिषद द्वारा शुल्क वसूलने, दो केएनजे की आठ बीघा भूमि को पशु पालकों को आवंटित करने, लेबर कॉलोनी में विक्रय भूखंडों पर अतिक्रमण के चलते अन्यत्र समकक्ष समतुल्य भूखण्ड देने, खाद्य व्यापार संघ जंक्शन को भूमि का आवंटन करने और टाउन के भारत माता चौक से गुरुद्वारा सुखा सिंह महताब सिंह तक बाईं तरफ अतिक्रमण हटाकर सड़क की चौड़ाई बढाने का निर्णय शामिल है।
इससे पहले, कांग्रेस पार्षद गुरदीप चहल ने पट्टों से संबंधित प्रकरणों में शिथिलता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहाकि पूर्व मुख्यमंत्रंी अशोक गहलोत के शासन काल में ज्यादा से ज्यादा पट्टे बनवाने पर जोर दिए गए थे लेकिन राज बदलते ही मामला सुस्त हो गया। इससे आवेदकों को दिक्कत हो रही है। इस पर सभापति सुमित रणवां ने कहाकि ऐसा नहीं है। नगरपरिषद की ओर से रिकार्ड संख्या में पट्टे बनवाए गए हैं। इस दौरान दोनों में नोंकझोंक भी हुई।
एमएलए ने किया राजेंद्र चौधरी का समर्थन
भाजपा पार्षद राजेंद्र चौधरी ने प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित फाइल की सुस्त रफ्तार के लिए आयुक्त पर निशाना साधा। उन्होंने कहाकि अधिकारियों की वजह सारा सिस्टम गड़गड़ा गया है। इस पर विधायक गणेशराज बंसल ने भी चुप्पी तोड़ते हुए कहाकि पीएम आवास योजना के आवेदकों की फाइल पर सख्त टिप्पणी की वजह से मामले अटके हुए हैं, इससे आम जन को लाभ नहीं मिल पा रहा जबकि सरकार की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा आवेदकों को लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने मौजूद अधिकारियों से कहाकि वे काम की गति को बढ़ाएं ताकि पात्र लोगों को राहत मिल सके।
पार्षद बोले-बेलगाम हो गए अधिकारी-कर्मचारी
पार्षदों के निशाने पर अधिकारी और कर्मचारी रहे। पार्षद मदन बाघला ने कहाकि नगरपरिषद में आम जनता को छोड़िए, पार्षदों को भी बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी जाती। कर्मचारी पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। इन्हें कोई कहने वाला नहीं। रोकने और टोकने वाला नहीं। पार्षद अनिल खीचड़ ने वार्ड 28 की समस्याओं को मुखरता से उठाया और समाधान की मांग की। पार्षद मनोज सैनी, बलराज सिंह दानेवालिया, तरुण विजय आदि ने अपनी बात रखी।
जब खीचड़ के पास पहुंचे विधायक तो ?
विधायक गणेशराज बंसल ने सभी पार्षदों की सीट के पास जाकर मुलाकात की। इस दौरान जब वे अनिल खीचड़ के पास गए तो खीचड़ ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया। दरअसल, गणेशराज बंसल के सभापतित्व काल में अनिल खीचड़ उपसभापति थे। गणेशराज बंसल के विधायक बनने के बाद पार्षदों ने अविश्वास पारित कर अनिल खीचड़ को पदच्यूत कर दिया था। उपसभापति पद से हटने के बाद अनिल खीचड़ पहली बार सदन की बैठक में भाग लेने पहुंचे।