आप आंदोलन के लिए तैयार हैं ?

image description

शंकर सोनी.
सामाजिक सुधार के लिए राजनीति के शुद्धिकरण की आवश्यकता है और इसके लिए एक आंदोलन जरूरी है। आजादी के 77 वर्षों के बाद भी व्यवहार में हम संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित किसी भी लक्ष्य के निकट नहीं पहुंच पाए है।
वर्तमान राजनीति स्वार्थ, सत्ता और अवसरवाद पर टिकी है। भारत में राजनीति एक व्यवसाय बन चुकी है। जनसेवा के बजाय यह निजी स्वार्थ, परिवारवाद, जातिवाद, और धनबल पर आधारित हो गई है। आलम यह है कि अब बड़ी-बड़ी कॉर्पाेरेट कंपनियाँ चुनावी फंडिंग करती हैं और बदले में नीतियों पर प्रभाव डालती हैं। इससे गरीब और श्रमिक वर्ग की आवाज़ दब जाती है। समाजवाद का लक्ष्य समरसता है, जबकि राजनीति का तरीका है विभाजन। नेता समाज को धर्म, जाति, क्षेत्र के आधार पर बांट कर सत्ता प्राप्त करते हैं। हमारी राजनीति का अपराधीकरण हो चुका है। राजनीति में नैतिकता का अभाव है। अपराधी पृष्ठभूमि वाले लोग संसद और विधानसभा तक पहुँच जाते हैं। राजनीति का स्वरूप बदले बिना समाजवाद संभव नहीं है।
हमें राजनीति को नहीं, राजनीतिक स्वार्थ को खत्म करना होगा। राजनीतिक शुद्धिकरण के लिए एक वैकल्पिक राजनीतिक ढाँचे की ज़रूरत है जो हर तरह से पारदर्शी, नैतिक और जनहितकारी हो।
मैने अपने समान विचार वाले साथियों के साथ इंडिया अगेंस्ट करप्शन और अन्ना आंदोलन में सक्रिय रुप से भागीदारी निभाई थी।
मैं भी अन्ना
तू भी अन्ना
भागो चोरो अन्ना आया
भ्रष्टाचारमुक्त भारत हमारी जिद है,
जनलोकपाल लेकर रहेंगे।
नारे आज भी कानों में गूंज रहे हैं।
हम लोग आखिरी समय तक आग्रह करते रहे कि इस आंदोलन को प्रेशर ग्रुप के रूप में रखें। इसे राजनीतिक दल नहीं बनाएं। मुझे अच्छे से याद है, बीकानेर में हुई अन्ना आंदोलन की अंतिम बैठक में गोपाल राय ने पूर्णतया आश्वस्त किया कि अन्ना आंदोलन को राजनीतिक दल नहीं बनाएंगे और यह भी कहा अगर हम में से एक भी आदमी बेईमान हो गया तो लोगों का आंदोलनों पर से भविष्य में विश्वास ही उठ जाएगा।
जयपुर में डॉक्टर नाथावत के यहां हुई मीटिंग में मनीष सिसोदिया ने पार्टी बनाए जाने की तरफदारी करते हुए कहा, ‘जब तक हम सिस्टम के अंदर नहीं जाएंगे तो व्यवस्था परिवर्तन नहीं होगा। हम एक स्वच्छ वैकल्पिक राजनीति देंगे।’
मुझे यह भी याद है डॉ पारख ने कहा था राजनीति में आकर हम जिस गति से सिस्टम को बदलने के लिए जोर लगाएंगे सिस्टम दोगुनी गति से हमे बदलने के लिए जोर लगाएगा। न चाहते हुए हम भी एक जनतांत्रिक आंदोलन की हत्या में भागीदार बन गए और जन्म दिया आम आदमी पार्टी को। इस पार्टी का क्या बना, मुख्य नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में है।
न जाने क्यों, मुझे लगता है, हमें हार तो नहीं माननी चाहिए। फाइटर कभी हारता नहीं। हमें एक बार व्यवस्था सुधार के लिए फिर आंदोलन करना चाहिए।
अबकी बार हम कुछ यूं करें,
ईमानदारी, शिक्षा और बेदाग होना जन प्रतिनिधियों के लिए जरूरी करें, चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता और खर्च की सीमा का कड़ाई से पालन हो, राजनीतिक दलों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र जरूरी हो। और इसके लिए देश भर में आंदोलन कर के एक विधिक दस्तावेज के रूप में जनमत संग्रह तैयार करे जो हम भारत के लोगों की सर्वाेच्च अभिव्यक्ति हो। आखिर में एक सवाल, क्या आप आंदोलन के लिए तैयार हैं ?
-लेखक पेशे से वरिष्ठ अधिवक्ता व नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *