आरएसएस और बीजेपी के लिए क्या बोलीं माकपा नेत्री वृंदा करात ?

भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
माकपा का राज्य सम्मेलन राजस्थान के हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में हुआ। तीन दिवसीय आयोजन स्थल को का.सीताराम येचुरी नगर, का.बृज लाल भादू मंच और का. बिजला सिंह सभागार नाम दिया गया था। तीन दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन सम्मेलन में पैंतीस सदस्यीय राज्य कमेटी और ग्यारह सदस्यीय राज्य सचिव मंडल का चुनाव किया गया। माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य, व पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा कारात ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव में मिले सबक को अनदेखा करते हुए आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने में लगी है। देश में जगह-जगह मस्जिदों के नीचे भगवान खोजने के अभियान के नाम पर, आम जनता को साम्प्रदायिक आग में झोंकने में लगी है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के जज से लेकर भाजपा नेता, संविधान की शपथ का उल्लंघन कर रहे है। मणिपुर जल रहा है, लेकिन सरकार चुप है। भाजपा नेताओं के बच्चे विदेश पढ़ते है, आम जनता के बच्चों को शिक्षक तक उपलब्ध नहीं है। देश में व्यापार, खेती में मंदी है और आवश्यक वस्तुओं में आसमान छूती महंगाई है। ऐसे में भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला, जनता के जीवन के मुद्दों पर संघर्ष को मजबूत करने काम सीपीआई (एम) करेगी।


देश में मजदूर-किसान की दो तिहाई आबादी: वीजू कृष्णनन
सीपीआई(एम) की केंद्रीय सचिव मंडल सदस्य वीजू कृष्णन ने कहा कि देश में मजदूर और किसान को मिलाकर दो तिहाई आबादी है। आज किसान एमएसपी गारंटी, भूमि अधिग्रहण, आवारा पशुओं की समस्या ,सरकारी भाव पर फसल खरीद सहित अन्य मुद्दों पर 2020 से सड़क पर लाठी, गोली का रहे हैं तो मजदूर श्रम कानूनों में बदलाव, ठेका प्रथा, न्यूनतम मजदूरी न मिलने, निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे है। आज देश का किसान-मजदूर और आम जनता भाजपा-आरएसएस की जन-विरोधी नीतियों से त्रस्त है और देश का प्रधानमंत्री भाषणों में मस्त है।


जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरेगी माकपा
तीन दिवसीय सम्मेलन में राज्य सचिव द्वारा प्रस्तुत की गई तीन साल की रिपोर्ट पर प्रतिनिधियों द्वारा गंभीर बहस की गई। राज्य सचिव द्वारा बहस का जवाब देने के बाद रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया गया। सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर प्रस्ताव पारित करते हुये इन मुद्दों पर राज्य में संघर्ष करने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में केन्द्र और राज्य की भाजपा-आरएसएस सरकारों द्वारा शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में लागू की जा रही नव-उदारवादी और साम्प्रदायिकरण की नीतियों के विरोध में प्रस्ताव पारित करते हुये कहा कि इन नीतियों के तहत एक तरफ शिक्षा के निजीकरण, साम्प्रदायीकरण किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर नई शिक्षा नीति और रोजगार के क्षेत्र में लागू की जा रही निजीकरण उदारीकरण की नीतियों से राजस्थान में बेरोजगारी, अर्द्ध बेरोज़गारी और असुरक्षित रोजगारों में बढ़ोतरी हो रही है। सम्मेलन में बढ़ते महिला अत्याचारों के खि़लाफ और महिला आरक्षण व महिला समानता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। देश औऱ राज्य में महिलाओं के खि़लाफ बढ़ते अपराधों पर गम्भीर चिंता प्रकट करते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि महिला अत्यचारों पर रोक लगाने औऱ महिलाओं को देश के संविधान अनुसार बराबरी औऱ अधिकार दिए जाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। राज्य में सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। सम्मेलन में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया।
किशन पारीक राज्य सचिव बने
सम्मेलन में का. किशन पारीक को राज्य सचिव चुना गया। राज्य सम्मेलन में 11 सदस्यीय राज्य सचिव मंडल एवं 35 सदस्यीय राज्य कमेटी का चुनाव किया गया। राज्य सचिव मंडल सदस्य के रूप में सांसद अमराराम, रामेश्वर वर्मा, फूलचंद बर्बर, दुलीचंद, श्योपत राम, छगन चौधरी, किशन पारीक, सुमित्रा चोपड़ा, पेमाराम, डॉ.संजय माधव, दुर्गा स्वामी, राज्य कमेटी सदस्य कॉ.रामरतन बगड़िया, रामप्रसाद जांगिड, मोतीलाल शर्मा, महादेव, सुन्दर बैनीवाल, हरफूल सिंह, आबिद हुसैन, रघुवीर वर्मा, कालू थोरी, निर्मल प्रजापत, गौतम डामोर, विमल भगौरा, भागीरथ यादव, बी.एस. राणा, रईसा, राजेश बिजारणियां, किशन मेघवाल, कमला मेघवाल, शेर सिंह शाक्य, चंद्रकला वर्मा व ओमप्रकाश यादव शामिल हैं।

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