जीवन में खेल का अलग महत्व है। खेल अब सिर्फ शारीरिक फिटनेस का माध्यम नहीं बल्कि पैसा और शोहरत हासिल करने का भी माध्यम है। लिहाजा, भटनेर पोस्ट डॉट कॉम में शुरू कर रहे हैं कॉलम ‘खेल-खिलाड़ी’। पहली कड़ी में बताते हैं ताइक्वांडो के ब्लैक बेल्ट हॉल्डर आदित्य गुप्ता के बारे में। आखिर, आदित्य गुप्ता कैसे बने ताइक्वांडो के स्टार ?
खेल डेस्क, भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
हनुमानगढ़़ टाउन के प्रतिष्ठित व्यवसायी आदित्य गुप्ता बचपन में शारीरिक रूप से मजबूत नहीं दिखते थे। आदित्य को यह खलता था। थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने स्पोर्ट्स से जुड़ने का फैसला किया। कोरियन शैली का ताइक्वांडो उन्हें रास आ गया। आदित्य गुप्ता कहते हैं, ‘आत्मरक्षा के लिए ताइक्वांडो बेहतरीन है। चूंकि मन में वायु सेना में पायलट बनने का ख्वाब पल रहा था, इसलिए मैंने मार्शल आर्ट को अपनाना आवश्यक समझा। इस बीच प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अबोहर जाना हुआ। जून 1993 में उन्होंने ताइक्वांडो सीखने की विधिवत शुरुआत कर दी।’
आलम यह है कि आदित्य गुप्ता आज ताइक्वांडो के ब्लैक बेल्ट हॉल्डर हैं। वे ताइक्वांडो के क्षेत्र में कई खिताब जीत चुके हैं। दिलचस्प बात है, आदित्य गुप्ता हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में ताइक्वांडो की विधिवत शिक्षा देने वाले प्रथम प्रशिक्षक हैं। बाद में उन्हें ताइक्वांडो एसोसिएशन का राजस्थान इंचार्ज लगाया गया। हनुमानगढ़ में साल 2005 में आदित्य ने नेशनल लेवल का टूर्नामेंट भी करवाया। बेटी वृंदा गुप्ता भी ताइक्वांडो की बेहतरीन प्लेयर हैं। वे इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीत चुकी हैं। आदित्य चाहते हैं कि बेटी वृंदा ताइक्वांडो में शिखर तक पहुंचे।
क्या है ताइक्वांडो ?
ताइक्वांडो की उत्पत्ति कोरिया के थ्री-किंगडम युग में हुई। जब शिल्ला राजवंश के योद्धाओं, ह्वारंग ने एक मार्शल आर्ट विकसित करना शुरू किया जिसका नाम ताइक्योन (पैर-हाथ) था। ताइक्वांडो ने 1988 के सियोल खेलों में एक एजीबिशन ओलंपिक खेल के रूप में अपनी शुरुआत की। ताइक्वांडो 206 देशों में प्रचलित एक पारंपरिक कोरियाई मार्शल आर्ट है। जिसमें शारीरिक रूप से लड़ने की कला से कहीं ज्यादा सीखने को मिलता है। ताइक्वांडो एक कोरियाई शब्द है जो तीन शब्दों से मिलकर बना है। ताई कोन डो का अर्थ पैर से होता है। कोन का अर्थ मुक्का मारना या लड़ाई से है वहीं डो का अर्थ तरीका या अनुशासन से है।
बस…इतना सा ख्वाब है!
ताइक्वांडो को लेकर आदित्य गुप्ता के मन में एक बड़ा सपना है कि हनुमानगढ़ मे उच्च स्तरीय आधुनिक सुविधाओं से लैस प्रशिक्षण केंद्र खुले। इसमें जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था हो। कहते हैं, ‘जीवन में स्पोर्ट्स से जुड़ाव जरूरी है। इससे शारीरिक और मानसिक विकास होता है। साथ ही बेहतरीन इंसान बनने की सीख मिलती है।