डॉ. एमपी शर्मा.
रोगियों के सही और सटीक निदान के लिए नैदानिक परीक्षण (क्लिनिकल एग्जामिनेशन) एक अनिवार्य और मूलभूत प्रक्रिया है। आज के आधुनिक युग में जहां तकनीकी उपकरण और लैब जांचों का महत्व बढ़ गया है, वहीं नैदानिक परीक्षण की प्रासंगिकता को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
नैदानिक परीक्षण के प्रमुख लाभ
रोग के मूल कारण का पता लगाना: नैदानिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर मरीज के लक्षणों को समझते हैं और उनका विश्लेषण करते हैं, जिससे रोग के मूल कारण तक पहुंचना आसान हो जाता है।
डॉक्टर-पेशेंट संबंध में विश्वास: परीक्षण के दौरान डॉक्टर मरीज से संवाद करते हैं और उनकी समस्याओं को सुनते हैं। इससे मरीज को डॉक्टर के प्रति भरोसा होता है।
गलत निदान की संभावना कम होती है: केवल लैब जांचों पर निर्भर रहने से कई बार गलत परिणाम आ सकते हैं, जबकि नैदानिक परीक्षण से सही दिशा में जांच और इलाज किया जा सकता है।
तत्काल निर्णय लेने की क्षमता: कई बार आपातकालीन स्थिति में नैदानिक परीक्षण द्वारा डॉक्टर तुरंत उपचार शुरू कर सकते हैं।
आर्थिक रूप से लाभकारी: लैब जांचों पर पूरी तरह निर्भर रहने की बजाय नैदानिक परीक्षण से कई बार अनावश्यक खर्च बचाया जा सकता है।
उदाहरण
एक सामान्य बुखार में अगर डॉक्टर मरीज का गला, त्वचा, आंखें और नाड़ी की जांच करते हैं, तो वे बिना अनावश्यक जांच के भी सही निदान कर सकते हैं।
निष्कर्ष
नैदानिक परीक्षण का महत्व कभी भी कम नहीं होगा। यह चिकित्सा का आधार है, जो रोगी को सही उपचार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर डॉक्टर को चाहिए कि वे नैदानिक परीक्षण के महत्व को समझें और इसे प्राथमिकता दें।
-लेखक जाने-माने सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष हैं