इम्पेक्ट फीचर: हनुमानगढ़ में इस तिकड़ी ने यूथ को दिखाया डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना, जानिए… कैसे ?

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में शिक्षा का मतलब था बीए और एमए की डिग्री हासिल करना। अगर किसी को प्रोफेशनल डिग्री हासिल करनी है तो यहां पर माहौल न के बराबर था। डॉक्टर-इंजीनियर बनना है तो अभिभावक अपने जिगर के टुकड़े को कोटा या अन्य दूसरे शहरों में भेजने के लिए मजबूर थे। अकेले बच्चे को छोड़ नहीं सकते, इसलिए परिवार के एक और सदस्य को घर छोड़ने की मजबूरी थी। ऐसे में कई बच्चों के ख्वाब मजबूरी में दफन होकर रह जाते। इस दौरान हनुमानगढ़ में तीन युवाओं ने कॉन्सेप्ट क्लासेज की नींव रखी। पहले तो लोगों को भरोसा नहीं हुआ लेकिन जब नीट और आईआईटी के परिणाम आए तो अभिभावक दंग रह गए। कॉन्सेप्ट क्लासेज स्थापना का रजत वर्ष यानी सिल्वर जुबली मना रहा है। आइए, बताते हैं हनुमानगढ़ में कॉन्सेप्ट क्लासेज का सफरनामा …….

भटनेर पोस्ट एजुकेशन डेस्क.
तीन युवक। तीनों ही अध्यापन से जुड़े हुए। अलग-अलग विषयों में दक्ष। जी हां। तीनों जब साथ हुए तो बन गई तिकड़ी। कॉन्सेप्ट क्लासेज हनुमानगढ़ की नींव है तीनों। ये हैं सतनाम सिंह खोसा, इंजीनियर ललित भठेजा और श्रवण यादव। तीनों के बीच भरोसे का रिश्ता है, विश्वास है, सर्वस्व न्यौछावर करने की भावना है। प्रबंधन के लिहाज से तीनों की अलग-अलग भूमिका है। सतनाम सिंह मैनेजिंग हेड की भूमिका में हैं तो ललित भठेजा सेंटर हेड व श्रवण यादव अकेडमिक हेड की निष्ठापूर्वक जिम्मदारी निभा रहे हैं। तीनों के बीच आपसी समझ व संबंधों की ऐसी मजबूती है जिससे कोचिंग इंस्टीट्यूट साल-दर-साल बेहतरीन परिणाम देने के साथ विद्यार्थियों व अभिभावकों की पसंद बनती जा रही है। कॉन्सेप्ट क्लासेज सिल्वर जुबली मना रहा है लेकिन हनुमानगढ़ में इसकी स्थापना 28 मार्च 2015 को हुई थी। हनुमानगढ़ में स्थापित कॉन्सेप्ट क्लासेज साल-दर-साल अपने श्रेष्ठ परिणामों की वजह से कोचिंग जगत में ब्रांड बनता जा रहा है। कभी आईआईटी और नीट की तैयारी के लिए बच्चे दूसरे शहरों में पलायन करने के लिए मजबूर थे, आज काफी हद तक यह पलायन ठहर गया है। बेशक, कॉन्सेप्ट क्लासेज ने क्षेत्र की जरूरत को महसूस कर ऐसा साहसिक कदम उठाया जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है।
जानी-मानी शिक्षाविद् व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुमन चावला कहती हैं, ‘अगर आपके शहर में बेहतर परिणाम देने वाले कोचिंग क्लासेज हैं तो आपको अपने शहर के संस्थान का चयन करना चाहिए ताकि बच्चे को पास में रखकर उसे माकूल सुविधा दिला सकें। बेशक, हनुमानगढ़ का कॉन्सेप्ट क्लासेज भारत के नामी-गिरामी कोचिंग संस्थानों को कड़ी टक्कर दे रहा है तो अपने श्रेष्ठ परिणामों की वजह से।’


कॉन्सेप्ट क्लासेज या डॉक्टर-इंजीनियर बनाने का कारखाना ?
साल दर साल उत्कृष्ट परिणामों की वजह से कॉन्सेप्ट क्लासेज को लोग डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की फैक्टी कहने लगे हैं। यह बात गलत भी नहीं है। दरअसल, चंद वर्षों में इस संस्थान से करीब 76 डॉक्टर तैयार हो चुके हैं। यह आंकड़ा उन स्टूडेंट्स का है जिनका सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हुआ है वहीं 80 से अधिक स्टूडेंट्स सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों से होकर इंजीनिर बने हैं। प्राइवेट संस्थानों से डॉक्टर-इंजीनियर बनने वालों की संख्या सैकड़ों में है।


इस क्लास के स्टूडेंट्स का एडमिशन
कॉन्सेप्ट क्लासेज में कक्षा 8 के बच्चों का एडमिशन होने लगता है या यूं कहिए इस कक्षा के स्टूडेंट्स को प्रवेश देने की सुविधा है। कक्षा 8 से 10 तक के बच्चों को सीबीएसई पैटर्न सिलेबस की तैयारी करवाई जाती है और कक्षा 11 के स्टूडेंट्स को सीबीएसई पैटर्न के सिलेबस के साथ जेईई-नीट की तैयारी करवाई जाती है।


‘सारथी’ की बड़ी भूमिका
कोचिंग सेंटर के सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते। कुछ बेहद मेधावी होते हैं तो कुछ औसत रूप से कम मेधावी। ऐसे में उन बच्चों के लिए ‘सारथी’ इकाई है जो संबंधित विषयों में अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं। ऐसे बच्चों पर खास फोकस किया जाता है। उनके लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाती हैं। काबिलेगौर है, कॉन्सेप्ट क्लासेज में हर विषय के लिए दो-दो व्याख्याता नियुक्त हैं। ‘सारथी’ इकाई कमजोर विद्यार्थियों को प्रतियोगी दौर के लिए तैयार करवाने में अहम भूमिका निभा रही है।
ये है ‘डाउट सेक्शन’ का महत्व
हर स्टूडेंट्स को संतुष्ट करना कॉन्सेप्ट क्लासेज अपना दायित्व मानता है। कई बार क्लास में स्टूडेंट पूरी तरह समझ नहीं पाता। जबकि बहुत सारे स्टूडेंट्स पहली बार में समझ लेते हैं। ऐसे में कॉन्सेप्ट क्लासेज प्रबंधन ‘डाउट सेक्शन’ का संचालन करता है ताकि वह विषय को समझ सके। इसके लिए बकायदा अलग से टीचर नियुक्त हैं जो ‘डाउट सेक्शन’ में स्टूडेंट्स को ज्ञान की घुट्टी पिलाते हैं। बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज के चेयरमैन आशीष विजय कहते हैं, ‘बेहतरीन कोचिंग इंस्टीट्यूट के मानकों को पूरा करते हुए कॉन्सेप्ट क्लासेज यूं ही क्षेत्र की प्रतिभाओं को दिशा देता रहे, यही कामना है।’
बेमिसाल लाइब्रेरी
किसी भी शिक्षण संस्थान की लाइब्रेरी वहां की मजबूती का प्रमाण बयां करती है। कॉन्सेप्ट क्लासेज की लाइब्रेरी इसका उदाहरण है। यहां पर हाई लेवल की लाइब्रेरी है। इसमें तमाम विषयों के स्टडी मैटेरियल उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं, स्टूडेंट्स के लिए मॉड्यूल उपलब्ध हैै जिसमें सबजेक्ट व चौप्टर वाइज सामग्री होती है। इससे स्टूडेंट्स को बड़ी राहत मिलती है। यही वजह है कंसेप्ट क्लासेज के 10-12 बच्चे हर साल बोर्ड परीक्षाओं में टॉपर होते हैं।
सेल्फ स्टडी रूम अलग से
कोचिंग इंस्टीट्यूट में शैक्षणिक वातावरण गजब का है। अगर किसी बच्चे की क्लास नहीं है तो वह सेल्फ स्टडी रूम में जाकर पढ़ाई कर सकता है। इसके लिए उसे अलग से कोई चार्ज नहीं देना पड़ता। सबजेक्ट टीचर हर वक्त उपलब्ध रहते हैं। टेस्ट सिस्टम भी बेहद मजबूत है। कॉन्सेप्ट क्लासेज प्रबंधन का कहना है कि उन तमाम बातों व सुविधाओं का ध्यान दिया जा रहा है जो दूसरे बड़े शहरों के लब्धप्रतिष्ठ कोचिंग संस्थान में उपलब्ध हैै। अभिभावकों और बच्चों के बीच संस्थान के प्रतिनिधि कड़ी का काम करते हैं। इसलिए पखवाड़ा भर में अभिभावकों के साथ एक मीटिंग जरूर होती है ताकि आपसी सामंजस्य से बच्चे का भविष्य संवारा जा सके।
बच्चों पर पढ़ाई का बोझ नहीं
हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर कचहरी रोड स्थित जांगिड़-सुथार धर्मशाला केे सामने स्थित कॉन्सेप्ट क्लासेज प्रबंधन बच्चों पर पढ़ाई का बोझ देने में भरोसा नहीं करता। सफलता का मुख्य आधार है, बच्चे में पढ़ाई की रुचि विकसित करना। वह तभी होगा जब विद्यार्थी को पढ़ाई उबाउ न लगे। इसके लिए समय-समय पर मॉटिवेशनल क्लासेज की व्यवस्था है। अलग-अलग समय पर अलग-अलग मॉटिवेशनल स्पीकर को आमंत्रित किया जाता है। जो बच्चों को पढ़ाई में मन लगाने व समय प्रबंधन आदि के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा खेलकूद प्रतियोगिताएं होती हैं जिनसे विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक मजबूती सुनिश्चित की जा सके।

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