16 दिन से अन्न त्याग चुकी है 18 साल की यह बेटी, जानिए…. क्यों ?

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में विख्यात उद्यमी परिवार की है यह बेटी। नाम है उन्नति। पूरा नाम उन्नति दफ्तरी। दरअसल, उन्नति दफ्तरी का यह परिचय अधूरा है। उन्नति की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि अभी इस बेटी ने उम्र के लिहाज से 18 साल भी पूरा नहीं किया लेकिन लगातार 16 दिन से उपवास पर है। उन्नति तपस्या कर रही है। सिर्फ जल ग्रहण कर रही है। सूर्यास्त होने पर वो भी नहीं। यानी जल भी नहीं। गुरुवार यानी 22 अगस्त को तपस्या का 16 वां दिन रहा। उन्नति ने 21 दिनों की तपस्या का संकल्प लिया है।


पिता हरीश दफ्तरी काली इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं। दादा जयचंद दफ्तरी बीकानेर संभाग के सुविख्यात उद्यमी माने जाते है। उद्यमी परिवार के बच्चे धर्म को लेकर इतने समर्पित हैं, सुनकर अचंभा हो सकता है लेकिन यह सच्चाई है। उन्नति के भाई प्रेम दफ्तरी ने भी सात साल पहले छोटी उम्र में तपस्या की शुरुआत की थी। इस बार भी 9 दिन तपस्या की। सेहत नासाज होने पर परिजनों ने तपस्या रोकने का आग्रह किया तो वे माने। लेकिन बेटी उन्नति अडिग है। इन 16 दिनों में उन्नति का वजन करीब साढ़े सात किलो कम हो गया है।


उन्नति जयपुर की मणिपाल यूनिवर्सिटी में बी.कॉम फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हैं। कॅरिअर को लेकर उनका मत स्पष्ट है। वह नौकरी से अधिक बिजनेस को महत्व देती हैं। पिता हरीश दफ्तरी भी बेटी की पसंद पर मुहर लगाते हैं। हरीश दफ्तरी ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहते हैं, ‘कॅरिअर को लेकर बच्चों की पसंद सर्वोपरि है। आज सरकारी नौकरी कौन सी आसानी से मिलती है। फिर भगवान का दिया हुआ बिजनेस है। उसे आगे बढ़ाना बच्चों का काम है।’


साधन संपन्न परिवार के बच्चों में संस्कार की भावना कैसे विकसित हुई ? उन्नति की मां मधु दफ्तरी कहती हैं, ‘परिवार में धर्म को लेकर सदा से आस्था का भाव रहा है। बच्चों पर असर पड़ना स्वभाविक है। उन्नति और प्रेम बचपन से संस्कारी हैं। हम उन्हें किसी बात के लिए कभी मना नहीं करते। तपस्या जरूरी है। इससे न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक या यूं कहिए आंतरिक शुद्धता आती है। तन स्वस्थ तो मन भी स्वस्थ रहता है। इसलिए बच्चों की तपस्या से पूरा परिवार अभिभूत है। परमात्मा इन्हें स्वस्थ और सुखी रखें।’


उन्नति दफ्तरी कहती हैं, ‘जब संकल्प ले लेते हैं तो मन को मजबूती मिलती है और फिर उसे पूर्ण करने के लिए तत्परता का बोध होता है। भूख-प्यास का भाव ही खत्म हो जाता है। वजन कम होने से शरीर पर थोड़ा फर्क जरूर पड़ता है लेकिन इससे मानसिक मजबूती मिलती है। हमें भरोसा है, लक्ष्य हासिल करेंगे।’ उन्नति के मामा ऋषभ जैन कहते हैं-जैन धर्म में त्याग और तपस्या पर अधिक जोर दिया जाता है। खुद पर नियंत्रण जैन धर्म का मूल सिद्धांत है और उन्नति जैसी बेटी ने छोटी उम्र में इस मूल सिद्धांत को जीवन में आत्मसात कर लिया है तो यकीनन उन्नति अपनी पीढ़ी के बच्चों के लिए प्रेरणास्पद है, रोल मॉडल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *