संजय सेठी. भटनेर पोस्ट न्यूज. श्रीगंगानगर.
कलाकार परमेश पॉल के द्वारा एपिटोम ऑफ आस्था नामक 14वीं सोलो चित्रों की कला प्रदर्शनी हीरजी जहांगीर आर्ट गैलरी मुंबई में लगाई गई। कलाकार परमेश पॉल मुंबई मेँ रहते हैं व 30 साल से इस कॅरियर में हैं। उन्होंने सिटीस्केप, लैंडस्केप, होलीस्केप और माइथोलॉजी पर पेंटिंग की हैं। हाल ही में उन्होंने बनारस सीरीज पर काम किया है। उनकी पेंटिंग्स में नंदी और शिव का प्रतिबिंब है।
उनके कुछ चित्र “बहुरूपिये “ पर आधारित हैं जो शिव, गणेश, पार्वती, आदि देवी-देवताओं के रूप में हैं। परमेश पश्चिम बंगाल में मिट्टी और टेराकोटा से देवी की मूर्ति बनाते हुए बड़े हुए हैं। उनकी प्रेरणा पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में स्थित मंदिरों और धामों से मिलती है जहां उन्होंने अपना पूरा बचपन बिताया है। परमेश पॉल की पेंटिंग, विश्वास, धर्म, शांति और शहर के दृश्यों का एक दिव्य संगम है। इस्कॉन मंदिरों को एक दशक समर्पित करने के बाद उन्होंने अपने जुनून को और मजबूत किया।
एक कलाकार के रूप में परमेश पॉल हिंदू पौराणिक कथाओं और प्राचीन भारतीय पवित्र शहरों और भगवान शिव के पौराणिक वाहन नंदी की कहानियों की ओर आकर्षित होते हैं। उन्होंने इन शहरों और कहानियों को अपने कैनवास पर फिर से उकेरा है और अपनी कल्पना और वास्तविकता के इस सुंदर मिश्रण में रंग भरा है। मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में इस प्रदर्शनी में, कलाकार ने अपनी आध्यात्मिक संवेदनाओं को खूबसूरती से प्रदर्शित किया है। श्री मायापुर, नबाद्वीप, बनारस और गंगा घाटों में प्रेरणा लेकर पीले, लाल, हरे और नीले रंगों से सजे यथार्थवादी चित्रों की पृष्ठभूमि में ईश्वर की प्रार्थना करने वाले भक्तों की कल्पना दिखाते हुए कलाकार ने भारत की समृद्ध हिंदू विरासत को श्रद्धांजलि दी है। पॉल की कला की परतों की बहुलता जिसमें मंदिर और पहाड़ शामिल हैं, कलाकृति में गहराई जोड़ते हैं और दर्शकों को एक नया दृष्टिकोण देते हैं। इसके अलावा भगवान शिव और उनके वाहन नंदी, उनके चित्रों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नंदी पर उनका कलात्मक प्रतिबिंब और पौराणिक कहानियाँ, एक दिव्य लोकाचार से प्रतिध्वनित होती हैं। मुंबई के कला प्रेमियों के लिए यह प्रदर्शनी किसी खूबसूरत आध्यात्मिक यात्रा पर जाने जैसा अनुभव कराती है।