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राजस्थान की राजनीति में तेजी से घट रही ब्राह्मणों की संख्या से सर्व ब्राह्मण महासभा चिंतित है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ब्राह्मणों को पुरानी ताकत दिलाने के लिए तीन सितंबर को राज्य स्तर पर जयपुर में ब्राह्मण महासंगम का आह्वान कर चुके हैं। इसकी तैयारी को लेकर वे लगातार राज्य भर का दौरा कर रहे हैं। दिलचस्प बात है कि सुरेश मिश्रा ने रणनीतिक तौर पर ब्राह्मणों को जगाने की योजना बनाई है। इसके तहत राज्य के 51 हजार बूथ से 10-10 ब्राह्मणों को आमंत्रित किया गया है। लोकतांत्रिक चुनाव में बूथ का अपना महत्व है। जाहिर है, पंडित सुरेश मिश्रा ने सियासी नब्ज को थामने की रणनीति बनाई है। महासभा का मानना है कि राजस्थान की राजनीति में ब्राह्मणों का वर्चस्व रहा है। पूरे 200 सीटों में से कम से कम 35 सीटों पर ब्राह्मणों को टिकट दिलाने पर जोर दिया जाएगा। मौजूदा विधानसभा में ब्राह्मण विधायकों की संख्या महज 17 है जबकि कभी राजस्थान विधानसभा में 50 से 60 ब्राह्मण हुआ करते थे।
महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा के मुताबिक, 14 प्रतिशत आरक्षण, भगवान परशुराम विश्वविद्यालय की स्थापना, भगवान परशुराम की 111 फीट की प्रतिमा की स्थापना, प्रत्येक जिले में गुरुकुल की स्थापना, आरक्षण आंदोलन के मुकदमों को वापस लेना, बालिकाओं के लिए छात्रावास की स्थापना प्रमुख एजेंडे में शामिल है। कुछ और मांगें हैं जिन्हें महासंगम में लिए शामिल किए जाएंगे। ब्राह्मणों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले, ईडब्ल्यूएस आरक्षण में राजनीतिक आरक्षण भी हो यह सब विषय भी इस महासंगम में रखे जाएंगे।
पंडित सुरेश मिश्रा कहते हैं कि वे आर्थिक आधार पर आरक्षण के पक्षधर हैं। ईडब्ल्यूएस में भी केन्द्र ने इतने कठोर नियम बनाए हैं जो समाज के लिए परेशानी बने हुए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि एक महिला के लिए उसके पति और पिता दोनों की आय की गणना क्यों की जाती है। उन्होंने कहा कि देश में 272 जातियां हैं जिनमें से 263 आरक्षण में शामिल हैं। शेष 9 में ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत, कायस्थ, सिंधी, पंजाबी, शेख, सैयद और पठान आते हैं। इन जातियों को भी सरकार को राहत प्रदान की जानी चाहिए।
सर्व ब्राह्मण महासभा हनुमानगढ़ जिलाध्यक्ष दुर्गाप्रसाद शर्मा ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ को बताते हैं, ‘महासभा ने एक लंबी लड़ाई ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए लड़ी थी। उस समय महासभा ने लाखों समाजजनों के साथआरक्षण रैली आयोजित की थी और सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने उस समय मंच पर आकर समर्थन दिया था। महासभा ने मांग की है कि इस बार विधानसभा चुनाव में समाज का प्रतिनिधित्व बढ़े और समाज एकजुट होकर मताधिकार का उपयोग करे।’
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