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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजधानी के महारानी कॉलेज में बतौर मुख्य अतिथि अलहदा अंदाज में नजर आए। उन्होंने न सिर्फ राजनीतिक मसलों पर परोक्ष रूप से विपक्ष पर निशाना साधा बल्कि बात-बात में यूथ को सफलता को लेकर गुरुमंत्र भी दिया। बकौल धनखड़, ‘आपको आज एक-दो गुरुमंत्र देकर जा रहा हूं। उसे जिंदगी में हमेशा फोलो करना। पहला कभी टेंशन मत रखो। टेंशन से कुछ नहीं होगा। लोग कहते है कि आसमान गिर जाएगा। हजारों सालों में तो एक बार भी नहीं गिरा।
दूसरा कोई अच्छा विचार आपके दिमाग में आ गया है तो दिमाग को पार्किंग स्टेशन मत बनाओ। उसे इम्प्लीमेन्ट कीजिए। फेल होने से मत डरिए। बिना फेल हुए कोई विकास आज तक नहीं हुआ है। चांद पर भी कोई पहली बार में नहीं पहुंचा था।’ दरअसल, उपराष्ट्रपति का यह गुरुमंत्र युवाओं के लिए बेहद खास माना जा रहा है। खासकर उस वक्त जब पढ़ाई और कॅरिअर के लिए संघर्षरत यूथ अवसाद की गिरफ्त में आने लगा है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष पर भी परोक्ष हमला किया। बोले-‘आज भारत मजबूत स्थिति में है। पता नहीं कुछ लोग क्यों मजबूत भारत को मजबूर दिखाना चाहते हैं।’ धनखड़ यहीं नहीं रूके। युवाओं को ऐसे लोगों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी प्रेरित किया। बोले-‘मजबूरी की बात करने वालों को जवाब देना आप सभी का काम है। आप आलोचक बनें। समझदारी से काम लीजिए, अपनी बात रखिए। अंत में निर्णय देश के पक्ष में होना चाहिए। हमारे देश की गरिमा को, हमारी संस्थाओं पर कोई कालिख लगाए और हम बर्दाश्त करें। यह हमारी संस्कृति नहीं है। हमें आगे चलकर फ्रंटफुट पर खेलना चाहिए। हमें ऐसी ताकतों को नकारना है।’
दूसरा कोई अच्छा विचार आपके दिमाग में आ गया है तो दिमाग को पार्किंग स्टेशन मत बनाओ। उसे इम्प्लीमेन्ट कीजिए। फेल होने से मत डरिए। बिना फेल हुए कोई विकास आज तक नहीं हुआ है। चांद पर भी कोई पहली बार में नहीं पहुंचा था।’ दरअसल, उपराष्ट्रपति का यह गुरुमंत्र युवाओं के लिए बेहद खास माना जा रहा है। खासकर उस वक्त जब पढ़ाई और कॅरिअर के लिए संघर्षरत यूथ अवसाद की गिरफ्त में आने लगा है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष पर भी परोक्ष हमला किया। बोले-‘आज भारत मजबूत स्थिति में है। पता नहीं कुछ लोग क्यों मजबूत भारत को मजबूर दिखाना चाहते हैं।’ धनखड़ यहीं नहीं रूके। युवाओं को ऐसे लोगों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी प्रेरित किया। बोले-‘मजबूरी की बात करने वालों को जवाब देना आप सभी का काम है। आप आलोचक बनें। समझदारी से काम लीजिए, अपनी बात रखिए। अंत में निर्णय देश के पक्ष में होना चाहिए। हमारे देश की गरिमा को, हमारी संस्थाओं पर कोई कालिख लगाए और हम बर्दाश्त करें। यह हमारी संस्कृति नहीं है। हमें आगे चलकर फ्रंटफुट पर खेलना चाहिए। हमें ऐसी ताकतों को नकारना है।’