आबूरोड में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी जानकी की तीसरी पुण्य तिथि आध्यात्मिक जागृति के रूप में मनायी गई। इस अवसर पर प्रात: काल से ही ध्यान साधना के बाद प्रात: आठ बजे दादी के समाधि स्थल शक्ति स्तम्भ पर संस्थान की मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका मोहिनी दीदी, जयन्ति, संयुक्त मुख्य प्रशासिका मुन्नी समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कुछ समय मौन रहकर अपनी पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। संस्था के मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष करूणा, ब्रह्माकुमारीज संस्थान के कार्यकारी सचिव मृत्युंजय, ज्ञानामृत पत्रिका के प्रधान सम्पादक आत्मप्रकाश, सूर्य, डॉ सतीश गुप्ता, डा बनारसी समेत अनेक जनों ने भी दादी के समाधि स्थल पर जाकर अपनी पुष्पांजलि दी। मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि दादी का जीवन हमेशा सही मानवता की सेवा में रहा। उनके संकल्प और कर्मों में हमेशा ही दिव्यता रही। देश विदेश की हर आत्मा को उन्होंने ज्ञान और योग से सींचा। अतिरिक्त महासचिव निर्वेर ने कहा कि दादी पूरे विश्व की दादी थी। उनके पास जो भी आता था वो दादी का हो जाता था। वो जिधर भी जातीं, उधर लोग उनके पीछे हो चलते थे। अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयेागिनी मोहिनी ने कहा कि दादी का संकल्प इतना तीव्र और शक्तिशाली था कि वे जो चाहती थी हो जाता था। उन्होंने उनके साथ के कई संस्मरण भी सुनायें। यूरोपियन सेवाकेन्द्रों की निदेशिका तथा अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका जयन्ति ने कहा कि दादी के साथ का जीवन एक अनमोल यादों में समा गया है। उनके साथ हमारा ऐसा सम्बन्ध रहा कि आज भी उनकी यादें हर पल साथ रहती है। संयुक्त मुख्य प्रशासिका मुन्नी ने कहा कि दादी एक बीता हुआ कल हो गया, परन्तु उनका जीवन आदर्श रहा है। उनके पदचिन्हों पर चलकर मनुष्य अपना जीवन महान बना सकता है। उनके हर कर्म दिव्य और अलौकिक थे। उन्होंने कभी भी जीवन में झूठ नहीं बोला। इसलिए वे प्रकृतिजीत की तरह थी। इसके बाद संस्थान के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों ने दादी के कमरे तथा उनके ध्यान कक्ष में कुछ समय जाकर ध्यान साधना कर पुष्पांजलि दी तथा कतारबद्ध होकर बड़ी संख्या में लोगों ने दादी के स्तम्भ पर अपनी पुष्पांजलि दी।