भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
योग की चर्चा हर जगह है। देश और दुनिया में शांति और स्वास्थ्य के लिए योग ही एकमात्र उपाय है। खेल का क्षेत्र चाहे कोई भी हो, श्रद्धा समर्पण और भावना के साथ आसन करे तो, प्रतिस्पर्धी भावना के बिना भी योग आसन खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हासिल किया जा सकता है। यह बात प्रख्यात योगी मंडलिक गुरुजी ने कही। वे श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय के योग विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय योग सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में देशभर से कई योग विद्वान भाग ले रहे हैं। अमेरिका से ऑनलाइन जुड़ें डॉ. सोमवीर आर्य ने कहा कि योगासन को खेल की तरह खेलना उचित नहीं होगा। महर्षि पतंजलि ने बताए योगासन के मूल तत्व को इससे हानि पहंुच सकती है।
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और योग चिकित्सक डॉ. दिलीप पाटिल ने कपालभाति क्रिया, योगासन, प्राणायाम, ध्यान आदि के हृदय और रक्त परिसंचरण तकनीक पर प्रभाव पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया और छात्रों के ज्ञान को समृद्ध किया।
कार्यक्रम संयोजक एवं योग विभाग के प्रमुख डॉ. राजेंद्र निकुंभ ने एसकेडी विशेष योग शृंखला अर्थात 35 आसनों के रीदमिक आसनों के अभ्यास को लेकर जानकारी दी। इस बात को व्यायाम की आयुर्वेदिक परिभाषा और योग सूत्र के संदर्भ देकर स्पष्ट किया। इस विषय पर कठीणतम विश्व कीर्तिमान स्थापित करने की योजना का क्या महत्व था? इस विषय पर प्रस्तुति दी। योगाचार्य डॉ. रमेश कुमार, डॉ. दीपक बागड़िया के साथ जयपुर, बीकानेर, अजमेर और राजस्थान के अन्य शहरों से आए शोधार्थियों, योगाचार्य नितिन पतकी ने भी ‘क्या योगासन खेल का हो मध्यम हैं’ विषय पर अपने वैज्ञानिक विचार रखे।
राष्ट्रीय बैठक का केंद्र बिंदु तथा आकर्षण पुणे, महाराष्ट्र के विश्व चौंपियन रहे डॉ. पल्लवी और उनके छात्रों ने अद्भुत योग मुद्राएं प्रस्तुत कीं। योग आसनों को देखकर उपस्थित सभी दंग रह गए।
यह सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था। प्रस्तावना परिचय विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. वैभव श्रीवास्तव ने किया। मंच संचालन योगाचार्य साक्षी नागारू ने किया। अतिथियों के साथ कुल 200 से अधिक विद्यार्थियों ने सक्रिय भाग लिया। 60 से अधिक छात्र एवं वक्ता ऑनलाइन जुड़े। विश्वविद्यालय के अन्य छात्र एवं आचार्य भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। शारीरिक शिक्षा एवं योग विभाग के डीन डॉ. रवीन्द्र, रमन जी, योगाचार्य विक्रम गोदारा, डॉ. स्वाति ओझा, डॉ. स्वाति, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. पुष्पेन्द्र, डॉ. पवन, डॉ. विकास एवं तकनीकी टीम ने सफलता के लिए प्रयास किये।