गोपाल झा.
लोकतंत्र में मतदान स्थल यानी बूथ को ‘हवन कंुड’ मान लीजिए। यहां पर मतदान रूपी ‘आहूति’ दी जाती है। इससे पांच साल के जनप्रतिनिधि का ‘उदय’ होता है। चुनाव आयोग बूथ रूपी ‘हवनकुंड’ तैयार करता है, पुरोहितों की तरह। लेकिन उससे पहले आयोग को भी ‘अग्निपरीक्षा’ देनी पड़ती है। कोई प्रत्याशी किसी मतदाता को प्रलोभन तो नहीं दे रहा। उसे भयभीत तो नहीं कर रहा। मतदाताओं के लिए भयमुक्त वातावरण उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी आयोग की है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव कार्यक्रम निर्णायक दौर में पहुंच चुका है। कल यानी 25 नवंबर को मतदान है। सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदाता अपने विवेक से पसंदीदा प्रत्याशी को वोट दे सकेंगे। प्रचार का शोर खत्म हो चुका है। प्रत्याशियों की ओर से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए ‘साम, दाम, दंड, भेद’ की नीति अपनाई जाएगी। आयोग की टीमों को अलर्ट रहना होगा। अब तक की सक्रियता से ज्यादा सतर्कता बढ़ानी होगी।
शहरी क्षेत्रों की कच्ची बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों के मोहल्लों में वो सब हो रहा है जो नहीं होना चाहिए। शराब, पेटोल-डीजल यहां तक कि हेरोइन यानी चिट्टा के लिए भी पर्चियां वितरित की गईं और न तो आयोग की कोई टीम वहां पहुंच पाई और न ही पुलिस। इक्की-दुक्की कार्रवाई कर टीमें अपनी पीठ जरूर थपथपाती रह गई।
खैर। जो हो गया सो हो गया, अब आगे के लिए चाक चौबंद रहने की जरूरत है। मतदान से पहले की रात को ‘कयामत की रात’ कहने की परंपरा है। यह वो रात है, जब आयोग व पुलिस की टीमों और प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ का खेल होता है। देखते ही देखते सब कुछ हो जाता है जो नहीं होना चाहिए, लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत माना जाता है।
कहना न होगा, मतदान से 24 घंटे पहले भी जाग गए तो लोकतंत्र का अर्थ साकार हो जाएगा। चुनाव आयोग और पुलिस बल निद्रा त्यागे, साहस के साथ बुराइयों के विरुद्ध कठोर रुख अपनाए। प्रत्याशी मतदाताओं का ‘जबरन’ समर्थन हासिल करने के बजाय उसका दिल जीतने का प्रयास करें। मुद्दों पर आधारित मतदान के लिए प्रेरित करें।
कहना न होगा, मतदान से 24 घंटे पहले भी जाग गए तो लोकतंत्र का अर्थ साकार हो जाएगा। चुनाव आयोग और पुलिस बल निद्रा त्यागे, साहस के साथ बुराइयों के विरुद्ध कठोर रुख अपनाए। प्रत्याशी मतदाताओं का ‘जबरन’ समर्थन हासिल करने के बजाय उसका दिल जीतने का प्रयास करें। मुद्दों पर आधारित मतदान के लिए प्रेरित करें।
मतदाता जाति, धर्म व प्रलोभन से दूर होकर स्वतंत्र होकर मतदान करें। क्योंकि उनका एक वोट क्षेत्र में खुशहाली, शांति व समृद्धि का द्वार खोलेगा। वोट की कीमत को पहचानें। यही लोकतंत्र की ताकत है। महत्व है। अच्छे और सच्चे व्यक्ति को वोट दीजिए। भले वह जीते, भले वह हारे। यह उसकी किस्मत। अपना काम तो मतदान करना है। राज्य में 199 विधायक ऐसे हों जो अपने क्षेत्र और समूचे राजस्थान को तरक्की की राह पर ले जाने में समर्थ हों। भले उनका दल कोई भी हो, दल ना भी हो। व्यक्ति अच्छे हों। ईमानदार हों और सुशिक्षित भी। अच्छा चुनिए, सच्चा चुनिए।