लुट गया टिकटार्थियों के दिल का करार!

भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क. 

साल 1997 में फिल्म ‘सनम’ प्रदर्शित हुई थी जिसके गीत ‘आंखों में नीदें न दिल में करार..’ बेहद कर्णप्रिय और हिट साबित हुए थे। दरअसल, चुनावी दौर में गीत की पहली पंक्ति न सिर्फ टिकटार्थियों बल्कि उनके समर्थकों पर सौ फीसद फिट बैठती है। कांग्रेस और बीजेपी के आलाकमान ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के तहत सभी 200 टिकट पर फैसला दिल्ली में सुरक्षित कर लिया है। राज्य की राजधानी जयपुर में टिकट मिलने की संभावनाएं खत्म होने लगी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली दरबार तक जिसकी जितनी पहुंच होगी, उसकी दावेदारी उतनी ही मजबूत मानी जाएगी।
हां, टिकटार्थियों और उनके समर्थकों की आंखों की नीदें उड़ चुकी हैं, दिल का करार लुट चुका है। अलबत्ता वे सोशल मीडिया पर अपने नेताओं के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। सार्वजनिक तौर पर भले वे अपने नेता की मजबूती का बखान कर रहे हों लेकिन अंदरखाने उनके मन में भी टिकट कटने या न मिलने का अज्ञात भय सता रहा है। बीजेपी ने जिस तरह पहली लिस्ट घोषित की उसके बाद तो बड़े-बड़े दिग्गज हिम्मत हारने लगे हैं। जब भैरोसिंह शेखावत के दामाद का टिकट कट सकता है तो फिर बाकी नेताओं की बिसात ही क्या? कार्यकर्ताओं में शेखावत के दामाद का टिकट कटना बर्दाश्त नहीं हो रहा।
 जयपुर के विद्याधरनगर सीट से भाजपा कार्यकर्ता योगेश दाधीच कहते हैं, ‘भाजपा ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाला काम किया है। हम लोग भैरोसिंह शेखावत को भाजपा मानते रहे, अब उनके दामाद नरपत सिंह राजवी और दोहिता अभिमन्यु सिंह राजवी हमारे नेता हैं। इस परिवार को राजनीति से बाहर करना कोई बर्दाश्त नहीं करेगा।’ 
 शेखावाटी के सुजानगढ़ सीट पर भी बीजेपी की अधिकृत प्रत्याशी संतोष मेघवाल के खिलाफ कार्यकर्ताओं में विद्रोह की स्थिति है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि बीजेपी की यह रणनीति आत्मघाती साबित होगी।
उधर, हनुमानगढ़ सीट पर बीजेपी के करीब दर्जन भर दावेदार हैं। अधिकांश नेताओं ने दिल्ली-जयपुर में डेरा डाल रखा है। वे अपने आकाओं व सरपरस्तों के जरिए हाईकमान को संतुष्ट करने में जुटे हैं।
 हनुमानगढ़ जिले की भादरा सीट पर पार्टी ने संजीव बेनीवाल और श्रीगंगानगर सीट से जयदीप बिहाणी को उम्मीदवार बनाया है। भादरा में कार्यकर्ताओं ने संजीव बेनीवाल को स्वीकार कर लिया है लेकिन श्रीगंगानगर में आंतरिक विरोध चरम पर है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि बिहाणी कांग्रेसी हैं, भाजपा में समर्पित नेताओं की लंबी सूची है। जब कांग्रेसियों को ही बीजेपी में शामिल कर बीजेपी को सत्ता हासिल करना है तो विचारधारा के नाम कार्यकर्ताओं और जनता को गुमराह क्यों किया जा रहा है। 
खास बात है कि भादरा से विधायक रहे संजीव बेनीवाल भी मूल कांग्रेसी माने जाते हैं।
बीजेपी ने कांग्रेस और बसपा मूल के नेताओं को टिकट देकर वैचारिक रूप से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को निराश किया है। ऐसे में यह चुनाव रोचक बनता जा रहा है। हालांकि अभी कांग्रेस की पहली लिस्ट नहीं आई है, देखना दिलचस्प होगा कि उस पर कार्यकर्ताओं की कैसे प्रतिक्रिया होगी।

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