मोदी, वसुंधरा, पायलट और ईडी…., सब पर खुलकर बोले गहलोत

भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क. 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज यानी 19 अक्टूबर को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर मीडिया से रूबरू हुए। वही परिचित अंदाज। शांत और संयमित तरीका। गहलोत का पूरा वक्तव्य सारगर्भित और आगामी चुनावों में उनकी भूमिका को लेकर साफ इशारा कर रहा था। टिकट को लेकर अंतिम फैसला होना बाकी है। इस बीच, गहलोत ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि कांग्रेस में अब पहले जैसी सिर फुटव्वल की स्थिति नहीं, यानी सब कुछ ठीक है। उन्होंने सचिन पायलट, नरेंद्र मोदी, वसुंधराराजे और केंद्रीय जांच एजेंसियों को लेकर अपनी बात रखी। सिलसिलेवार तरीके से जानिए….गहलोत क्या बोले….! 

नरेंद्र मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपने मुंह से कहते रहते हैं कि मैं फकीर हूं। उन्हें यह दावा नहीं करना चाहिए। अगर करते हैं तो उन्हें पता होना चाहिए कि मैं उनसे भी बड़ा फकीर हूं। 50 साल के राजनीतिक जीवन में एक ईंच जमीन नहीं खरीद पाया। मोदीजी जब बोलते हैं तो देश सुनता है। अच्छा भाषण करते हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं चलता कि क्या बोल रहे हैं। एक बानगी देखिए। भोपाल में वे एनसीपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। दो दिन बार महाराष्ट में एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना लेते हैं। जिन अजीत पवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर वित्त विभाग सौंप देते हैं। मतलब यह हुआ कि बीजेपी के पास ऐसी वाशिंग मशीन है जिसमें सब धुलकर पाक साफ हो जाते हैं। कमाल है न!

वसुंधराराजे: वसुंधरा को मेरे कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए, यह उनके साथ अन्याय होगा। मेरी कुछ बातों को फ्लेवर लगाकर पेश किया गया था। दरअसल, 2020 में जब मेरी सरकार पर संकट था तो कैलाश मेघवाल ने बयान दिया कि राजस्थान में इस तरह सरकार गिराने की परंपरा नहीं रही है। जब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे और वो इलाज के लिए अमेरिका गए थे तो पीछे से उनके कुछ नेता सरकार गिराना चाहते थे। मेरे पास कुछ नेता आए कि सरकार गिराने में सहयोग कीजिए। मैंने साफ मना कर दिया। उस समय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और राज्यपाल बलिराम भगत थे। मैंने उन्हें भी कहा था कि सरकार गिराने में सहयोग करना उचित नहीं होगा। कैलाश मेघवाल को इस बात की जानकारी थी। जब सियासी संकट आया तो उन्होंने कह दिया कि हमारे यहां इस प्रकार सरकार गिराने की परंपरा कभी नहीं रही। मुझे भाजपा के मेरे मित्रों से ही पता चला कि वसुंधरा राजे का भी यही मानना था। कुछ महीनों पहले धौलपुर में गलती से मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सरकार जब संकट में थी तो वसुंधरा राजे की भावना वही थी, जो भैरोंसिंह शेखावत की सरकार के वक्त मेरी थी। इसे फ्लेवर लगाकर पेश किया गया। 

सचिन पायलट: सचिन के साथ कोई दिक्कत नहीं। बीजेपी वाले चाहते हैं कि हमारे बीच झगड़ा हो, लेकिन उनकी मुराद पूरी नहीं होने वाली। सचिन के सभी विधायकों के टिकट कंफर्म हैं। मैंने किसी पर कोई ऑबजेक्शन नहीं किया हैं। हम सब एकजुट हैं और कांग्रेस की सरकार आ रही है।

 ईडी, सीबीआई: मोदी सरकार केंद्रीय जांच एंजेसियों का बेजा इस्तेमाल कर रही है। आदर्श आचार संहिता लागू है और ईडी की टीमें छापे मार रही है। यह उल्लंघन नहीं है क्या ? मैंने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स यानी सीबीडीटी के चेयरमैन से मिलने का समय मांगा। उन्होंने दे भी दिया लेकिन मीडिया में खबर आई तो उनका फोन आ गया कि अभी मत आइए, मैं आपसे खुद मिल लूंगा। जांच एजेंसियों पर इस तरह पॉलिटिकल प्रेशर है कि क्या कहूं। इसका प्रमाण देखिए, यूपीए सरकार के दौरान ईडी के 912 छापे पड़े और 93 प्रतिशत मामलों में चार्जशीट दायर की गई। मोदी सरकार ने 3020 छापे पड़े और महज 29 फीसद चार्जशीट दायर हो पाई। इससे पता चलता है कि मोदी सरकार विपक्ष को डराकर रखने के लिए किस तरह ईडी और अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

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