भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
बदलाव का सूत्रधार कोई भी हो सकता है लेकिन असर तब पड़ता है जब इसकी पहल नामचीन लोग करें। शादी समारोहों में फिजूलखर्ची बढ़ती जा रही है। शादी तय होने से पहले और बाद में भी सबसे महत्वपूर्ण बात वित्त यानी अर्थ को लेकर होती है। लेकिन देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी बेटी की शादी पर कोई समारोह नहीं किया। किसी वीआईपी को आमंत्रित नहीं किया। उन्होंने घर पर ही चंद परिजनों के साथ बेटी की शादी करवाई। इस सादगीपूर्ण शादी की सर्वत्र चर्चा हो रही है। काबिलेगौर है कि सीतारमण के दामाद प्रतीक दोषी गुजरात के रहने वाले हैं। वे पीएमओ में ओएसडी हैं जबकि निर्मला की बेटी परकला वांगमयी मिंट लाउंज में फीचर राइटर हैं। इस सादगीपूर्ण विवाह की खबर की राजस्थाऩ में भी चर्चा है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत सह प्रभारी आशीष पारीक इस सादगी का दिल से स्वागत करते हैं। पारीक कहते हैं, ‘विवाह एक संस्कार है। लेकिन बदलते परिवेश में इसके आयोजन में आडम्बर बढ़ने लगे। इससे बचने की जरूरत है। विवाह पर दिखावे के लिए होने वाले खर्च में कटौती करने की भी आवश्यकता है। बेहतर होगा, इस मद के बजट का उपयोग आप सामाजिक कार्यों में करें। मसलन, शादी के उपलक्ष्य में एक हजार पौधे लगाएं और उसकी देखरेख की समुचित व्यवस्था करें। इस तरह की पहल बेमिसाल मानी जाएगी।’
श्रीनगर की सरपंच नवनीत संधू कहती हैं, ‘निर्मला सीतारमण ने उदाहरण प्रस्तुत किया है। इससे हम सबको प्रेरणा लेने की जरूरत है। आजकल शादी समारोह खर्चीला होता जा रहा है। फिजूलखर्ची से वर और वधू यानी दोनों पक्षों पर आर्थिक भार पड़ता है। जितना खर्च व्यर्थ के कार्यों में किए जाते हैं, वह राशि अगर वर-वधू के अकाउंट में डाल दिए जाएं तो इसका सदुपयोग होगा। बड़े लोगों की फिजूलखर्ची आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।’
अमरपुरा थेहड़ी के सरपंच रोहित स्वामी भी इस पहल को बेहतर मानते हैं। कहते हैं, ‘सामाजिक बदलाव की पहल बड़े लोगों को ही करनी पड़ेगी। तभी इसका असर आम आदमी पर पड़ेगा। दिखावे के लिए लाखों रुपए बर्बाद करना अनुचित है। इस बजट का उपयोग शिक्षा, पर्यावरण व जरूरतमंदों पर हो तो यह आदर्श स्थिति होगी।’
भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी मुरलीधर सोनी के मुताबिक, विवाह समारोहों में दोनों पक्षों से 100 लोगों से अधिक की मौजूदगी न हो तो सबसे अच्छा। इससे खर्च में अपने आप कटौती हो जाएगी। मुरलीधर सोनी कहते हैं, ‘नागौर में हम सबने एक स्वयंसेवक की पुत्री की शादी सादगीपूर्ण तरीके से करवाई। खाना बनाने से लेकर खिलाने और बर्तन धोने तक का कार्य हम सबने मिलकर किया। बारात भी अभिभूत हुई। हम सबको इसी परिपाटी को बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे।’
कर्मचारी नेता कृष्ण तायल के मुताबिक, निर्मला सीतारमण ने देश के लिए नजीर पेश की है। अब हम सब पर निर्भर है कि इसे किस तरह देखते हैं। जब वित्त मंत्री ऐसा कर सकती हैं तो हम क्यों आडम्बरों में उलझे हैं। तायल कहते हैं, ‘सामाजिक बदलाव की पहल जब सक्षम लोग करते हैं तो बाकी खुद ब खुद फॉलोवर बन जाते हैं।’
राजस्थान मैथिल ब्राह्मण परिषद अध्यक्ष देवकीनंदन चौधरी कहते हैं कि मिथिलांचल के लोगों को इससे सीख लेने की जरूरत है। क्योंकि मैथिल ब्राह्मणों में इस तरह के आडम्बर ज्यादा हैं। फिजूलखर्ची रोकने के लिए इस तरह के प्रयास कारगर होंगे।