हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा उपखंड मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित है यह गांव। इसे 26 एसटीजी कहते हैं। घग्घर बहाव क्षेत्र के निकट होने के कारण प्रशासन ने इसे अतिसंवेदनशील घोषित कर दिया है। गांव खाली करने का आदेश है। ट्रैक्टर-ट्रालियों में सामान व पालतू मवेशी लाद रहे ग्रामीणों की लाचारी देखकर भारत-पाक विभाजन के दिनों की परिकल्पना आंखों में तैरने लगती हैं। तिनका-तिनका जोड़कर बनाए घरों से रिश्तेदारों व परिचितों को बुलवाकर सामान निकाल रहे इन ग्रामीणों के चेहरे पर बनी चिंता की लकीरें उनकी लाचारी को स्पष्ट बयां कर रही थीं। प्रचण्ड गर्मी और उमस में पसीने-पसीने हो रहे हैरान-परेशान इन ग्रामीणों का कहना था कि प्रशासन तो उन्हें गांव खाली करने का कहकर चला गया परंतु वे अपने घरेलू जरुरत के सामान, महिलाओं, बच्चों व मवेशियों को लेकर कहां जाएं?
दूसरी तरफ गांव 26 एसटीजी के चारों तरफ जेसीबी मशीन से बंधा बनाने में जुटे कुछ युवाओं में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश नजर आया। युवाओं ने बताया कि कभी गांव के चारों तरफ करीब सात-आठ फीट लंबा और 5-6 फीट गहरा बंधा बना हुआ था, जो ऐसी प्राकृतिक आपदा के समय गांव के लिए ढाल का काम करता था। परंतु समय के साथ विकास के नाम पर इस बंधे को तोड़कर गांव के चारों तरफ खड़ंवजा सड़क बना दी गई है। जिसका परिणाम आज ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। प्रशासन ने भी कभी भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस बंधे को तोड़ने पर आपत्ति नहीं जताई। उधर, इस बंधे पर निगरानी के लिए पुलिस के जवान भी तैनात नजर आए।
65 वर्षीया मीरां देवी नायक कहती हैं, ‘घर गो सामान उठागे तो म्है रिश्तेदारां गै अठै लै जा स्यां, पण जै घग्घर गो पानी गांव माही आ गयो तो म्हारे जिसा रोज नुयो कुओं खोदगै पानी पीन आला परिवार वापस सिर ढकन नै छत कठूं ल्या सी।’
राजेंद्र बावरी बोले-‘सरकार ने हमें घग्घर में पानी की भारी आवक आने के कारण गांव खाली करने को कहा है, इसीलिए हम लोग घर का सामान लेकर पीलीबंगा कस्बे की तरफ जा रहे हैं।’ जब ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ ने पूछा कि वह पीलीबंगा में अपने सामान और परिवार को लेकर कहां जाएगा तो उसने बताया कि उसे ना तो प्रशासन ने कोई जगह बताई है और ना ही उसके पास कोई और जगह है। उसने पीलीबंगा कस्बे में रह रहे एक रिश्तेदार के घर शरण मांगी है।
इसके अलावा चक्र 23,24 व 25 एसटीजी की ढाणियों में भी लोग मवेशियों को वाहनों में लादकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाते हुए दिखे। बड़ी बात यह रही कि विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल व गऊ रक्षा दल के कार्यकर्ता घग्घर बहाव क्षेत्र में पड़ने वाले गांवों में विचरण करने वाले निराश्रित मवेशियों को एकत्रित कर पीलीबंगा शहरी क्षेत्र की विभिन्न गौशालाओं के वाहनों में लादकर उन्हें पीलीबंगा गौशाला पहुंचाने का कार्य करते हुए दिखाई दिए।
गांव की ही एक गली में विधायक धर्मेंद्र मोची भी ग्रामीणों के साथ बातचीत करते नजर आए। वे ग्रामीणों को हर संभव मदद करने का भरोसा दिला रहे थे। परंतु विधायक के जाने के बाद ग्रामीण बतियाते नजर आए। बकौल ग्रामीण, ‘खुद गी सुरक्षा तो महानै खुद ने ही करनी पड़ सी।’ वहीं प्रशासन की हिदायत के बाद चक 23 एसटीजी की गलियां सूनी पड़ी नजर आईं। इसके अलावा रावतसर रोड़ पर घग्घर बहाव क्षेत्र में बने पुल पर भी अनेक लोग आते जाते हुए अपने वाहन रोककर पानी के नजारे को मोबाइल के कैमरों में कैद करते नजर आए।
पीलीबंगा शहरी क्षेत्र के लिए ढाल बन सकती है एसटीजी नहर रू घग्घर बहाव क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में पानी आने पर जहां क्षेत्र के गांव 22, 23, 24, 25, 26, 28, 29,30, 31,32,35,36 एसटीजी, कालीबंगा, निहालपुरा, पीलीबंगा गांव अमरपुरा राठान, लुढाणा, सरामसर, रामपुरा आदि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी भरने की संभावना है, वहीं जानकारों का मानना है कि रावतसर रोड़ पर स्थित एसटीजी नहर पीलीबंगा शहरी क्षेत्र के लिए इस आपदा में बड़ी ढाल बन सकती है।
‘आधी दुनिया’ के हाथों पूरी कमान!
कोरोनाकाल के बाद इस आपदा की घड़ी में पीलीबंगा क्षेत्र की जनता के जान-माल की सुरक्षा का जिम्मा एक बार फिर ‘आधी दुनिया’ के हाथ में ही है। कोरोनाकाल के समय जहां तत्कालीन एसडीएम प्रियंका तलानिया, पालिका ईओ पूजा शर्मा व नायब तहसीलदार पूनम कंवर प्रशासन का नेतृत्व कर रही थीं वहीं इस वक्त बाढ़ की आशंका के बीच एसडीएम संजना जोशी, प्रभारी सुनीता चौधरी, तहसीलदार आकांक्षा गोदारा, पालिका ईओ पूजा शर्मा व सब इंस्पेक्टर रजनदीप कौर एक बार फिर व्यवस्था बनाने में जुटी हुई हैं।