टेंशन में बीजेपी, उल्टे पड़ने लगे हर दांव!

भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क. 

राजस्थान विधानसभा चुनाव के तीन दशक के इतिहास में पहली बार विपक्षी पार्टी द्वंद्व से जूझ रही है। रणनीतिक कौशल की वजह से दुनिया की नंबर वन पार्टी का दावा करने वाले भाजपा के दिग्गज नेताओं के अमूमन हर दांव उल्टे पड़ते दिख रहे हैं। पार्टी ने चतुराई दिखाते हुए उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित करने में आतुरता दिखाई। नवरात्रि की भी प्रतीक्षा नहीं की और श्राद्धपक्ष में उम्मीदवारों को उतारने का एलान कर दिया लेकिन अधिकांश उम्मीदवारों के खिलाफ कार्यकर्ताओं के बगावत ने बीजेपी के अंदर की राजनीति को बाहर कर दिया। कांग्रेस की कलह पर ‘व्यंग्य बाण’ चलाने वाले अब खुद की सियासी नाव को डूबने से बचाने में जुटे हुए हैं।
जयपुर की विद्याधरनगर सीट पर पार्टी ने भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी की जगह दीया कुमारी को टिकट दिया है। नरपत सिंह राजवी इससे बेहद खफा हैं। उन्होंने तो दीया कुमारी के परिवार की पोथी खोलकर रख दी। बकौल राजवी, ‘मुगलों की गुलामी करने वालों को टिकट देकर भाजपा क्या मैसेज देना चाहती है?’ हालांकि पार्टी के प्रेशर में राजवी ने अपने बयान से मुकरने का प्रयास किया लेकिन वे भूल गए कि उनका बयान कैमरे में रिकार्ड है। बीजेपी जानती है कि विद्याधरनगर में राजवी परिवार का दबदबा है। राजवी उसी भैरोसिंह शेखावत के दामाद हैं और राजनीतिक उत्तराधिकारी भी जो बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और राजस्थान में बीजेपी की कभी भैरोसिंह जनता पार्टी के तौर पर पहचान रही। आज वही बीजेपी शेखावत की विरासत संभालने वालों को बाहर का रास्ता दिखा रही है तो राजवी परिवार का गुस्सा लाजिमी है। झोटवाड़ा सीट से राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ को टिकट देने पर भी बीजेपी में घमासान की स्थिति है। पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत कहते हैं, ‘मैं स्तब्ध हूं। पार्टी ने इतना बड़ा फैसला करने से पहले उनसे बात करने की भी जहमत नहीं उठाई।’

बीजेपी ने टोंक में गुर्जर वोटर्स को साधने के लिए विजय सिंह बैंसला को देवली-उनियारा और सीट से टिकट देने का एलान किया तो हंगामा हो गया। सुजानगढ़ सहित दर्जनों सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों का विरोध जारी है।
आलम यह है कि दूसरी लिस्ट घोषित करने से पहले बीजेपी विरोध की आग को बुझाने में जुटी है। दरअसल, पार्टी आलाकमान को इस संभावित विरोध का पूर्वानुमान नहीं था। आलाकमान को लगता था कि इस वक्त बीजेपी में कार्यकर्ताओं की नब्ज उनके हाथ में है और कहीं से कोई बगावत की स्थिति पैदा नहीं होगी। लेकिन इसके विपरीत जिस तरीके से बागियों की फौज तैयार हो रही है, वरिष्ठ रणनीतिकारों की चतुराई हवा-हवाई हो गई। लिहाजा, आलाकमान ने सीनियर लीडर्स को डैमेज कंट्रोल का जिम्मा दिया है।

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