शंकर सोनी.
सुबह घूमते समय अचानक सिर और गर्दन के धागा लिपटा, जो बिजली की तारों से लिपटा हुआ लटक रहा था। मैनें पूरा जोर लगा दिया पर धागा नहीं टूटा। यह धागा मैनें कैंची से काट कर अपने पास रखा है। दरअसल, यह ‘खूनी धागा’ है। कई मोटरसाइकिल सवारों की गर्दन काट कर जाने ले चुका है यह ‘खूनी धागा’।
पतंगबाजी में गत 10 वर्षों से चाइनीज माझा काम मे लिया जा रहा है। सिंथेटिक धागे पर शीशा, वजरम गोंद, मैदा, ंएल्यूमिनियम ऑक्साइड व जिरेकोनिया ऑक्साइड का घोल चढ़ा कर यह धागा तैयार किया जाता है।
यह धागा इतना पक्का होता है कि पक्षियों व आदमियों को चीर कर रख देता है।
इस धागे से इंसानो व पक्षियों की जान लेने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है। लगभग सभी राज्यों की सरकारों ने इस धागे का उपयोग प्रतिबंधित किया हुआ है।
पतंगबाजी में गत 10 वर्षों से चाइनीज माझा काम मे लिया जा रहा है। सिंथेटिक धागे पर शीशा, वजरम गोंद, मैदा, ंएल्यूमिनियम ऑक्साइड व जिरेकोनिया ऑक्साइड का घोल चढ़ा कर यह धागा तैयार किया जाता है।
यह धागा इतना पक्का होता है कि पक्षियों व आदमियों को चीर कर रख देता है।
इस धागे से इंसानो व पक्षियों की जान लेने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है। लगभग सभी राज्यों की सरकारों ने इस धागे का उपयोग प्रतिबंधित किया हुआ है।
राजस्थान सरकार ने भी 13 जनवरी 2012 से इस धागे के उपयोग को प्रतिबंधित किया हुआ है।
एनजीटी ने भी 11 जुलाई 2017 को देश भर मे इस धागे के उपयोग को प्रतिबंधित कर सभी सरकारों को दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। द इंवायर प्रोटक्सन एक्ट की धारा 15 के अंतर्गत इस ख़ूनी धागे का पतंगबाजी में उपयोग 5 वर्ष कारावास या एक लाख रुपए से दंडनीय अपराध है। वहीं दूसरी ओर, अब यह ख़ूनी ‘धागा भारत’ मे भी बन रहा है। ऐसे में, सरकार और प्रशासन के भरोसे न रहें और अपनी सुरक्षा खुद करें। जनहित व पक्षियों के हित मे इस धागे का उपयोग न करें। यह खतरनाक है। हमारे खुशियों के त्यौहार को ग़मगीन कर सकता है।
–लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता और नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक अध्यक्ष हैं