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घग्घर बहाव क्षेत्र में पानी की रिकार्ड आवक हो रही है। इससे प्रशासन में ‘टेंशन’ है। कलक्टर रुक्मणि रियार के चेहरे पर चिंता की रेखाएं साफ नजर आ रही हैं। हालांकि वे दृढ़ता से कहती हैं कि हम सब मिलकर इस संभावित विपदा का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने माना कि ज्यादा पानी आने से उसे खपाने की व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इंदिरा गांधी नहर में 4000 क्यूसेक पानी डायवर्ट कर पाने से शहर को बचाकर रखा जा सका है। इस वक्त घग्घर साइफन में 24000 क्यूसेक पानी आ रहा है। इसके तहत जीडीसी में 14000 क्यूसेक पानी छोड़ा है जो लिमिट से अधिक है। सनद रहे, जीडीसी की क्षमता 13000 क्यूसेक है। नाली बैड में पानी बढ़ाकर 6200 क्यूसेक कर दिया है जो कि 700 क्यूसेक अधिक है। कलक्टर रुक्मणि रियार कहती हैं, ‘दो दिन क्रिटिकल इसलिए है क्योंकि ओटू से अब भी 37000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है। हमारी कोशिश है कि अंतिम समय तक भी हनुमानगढ़ के लोगों पर आपदा का असर नहीं आने दें। निचले इलाके में रहने वाले लोगों से बार-बार कहा है कि वे सुरक्षित स्थानों या फिर राहत कैम्प में शिफ्ट हो जाएं।’
आखिर, और कितना आएगा पानी ? इस सवाल पर कलक्टर ने कहाकि यह बताना किसी के लिए मुमकिन नहीं। बकौल डीएम रुक्मणि रियार ‘यह बताना मेरे लिए भी मुश्किल है। सिरसा से जारी गेज हम आम जन से लगातार शेयर कर रहे हैं, वही अधिकृत जानकारी है।’ कलक्टर ने माना कि अगर ओटू से ज्यादा पानी आता है तो उसे सेमनाला व नालीबेल्ट में प्रवाहित करने के अलावा हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं है।