




भटनेर पोस्ट डेस्क.
राजस्थान की 682 निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई.टी.आई.) ने राज्य सरकार और राज्य निदेशालय की कार्यप्रणाली के विरोध में अनिश्चितकालीन तालाबंदी का एलान कर दिया है। राजस्थान प्राइवेट आई.टी.आई. एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. भूपेन्द्र लाम्बा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम हनुमानगढ़ विधायक गणेशराज बंसल व कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें आकस्मिक निरीक्षणों, फीस निर्धारण एवं केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की माँग की गई है।
ज्ञापन के मुताबिक, भारत सरकार द्वारा निर्धारित नॉर्मेटिव फीस मॉडल को वर्षों से राज्य सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया, जिससे निजी संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं। इनकी आय का एकमात्र स्रोत विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस है, लेकिन उसका भी उचित निर्धारण नहीं किया गया है। एनसीवीटी के आदेशों के अनुसार इंजीनियरिंग ट्रेड के लिए 26,000 रुपये एवं नॉन-इंजीनियरिंग के लिए 21,200 रुपये वार्षिक फीस तय की गई है, जिसमें 2024 से 5 फीसद वृद्धि का प्रावधान है। लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस पर कोई अमल नहीं किया।
इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा दिसंबर 2024 में किए गए आकस्मिक निरीक्षणों को लेकर भी विरोध जताया गया है। आरोप है कि निरीक्षण एसओपी के विरुद्ध, बिना योग्य अधिकारियों के, और बिना उचित सूचना के किए गए, जिससे उत्पीड़न की स्थिति बनी है। इसी कारण, सभी संस्थानों ने संयुक्त निरीक्षण का बहिष्कार किया है।
संघ की तीन प्रमुख माँगें हैं,।जिसमे फीस का नियमित निर्धारण, बीएड/एसटीसी की तर्ज पर केंद्रीकृत खाते में फीस जमा व्यवस्था लागू करना, और सभी जारी कारण बताओं नोटिस को निरस्त करना।
प्रदेश उपाध्यक्ष भूपेंद्र लांबा के मुताबिक, संघ ने सरकार से अपील की है कि वो एनसीवीटी व डीजीटी के निर्देशों का पालन करते हुए निजी संस्थानों के संचालन में पारदर्शिता लाए एवं अनावश्यक निरीक्षणों को रोके। वर्तमान में आईटीआई संस्थान हड़ताल पर हैं, जिससे राज्य में तकनीकी शिक्षा प्रभावित हो रही है। ज्ञापन देने वालो में पवन ठठई, दलीप शर्मा, कमल पारीक, डिप्टी सिंगला, राजेन्द्र गोदारा, सुरेंदर मील, सुनील कुमार व अन्य आईटीआई कॉलेज संचालक मौजूद थे।





