वीरेंद्र छापोला की ‘मीत बणावां पोथी नै’ का लोकार्पण, साहित्यकारों ने उठाई यह मांग

भटनेर पोस्ट न्यूज सर्विस.
धनतेरस के पावन अवसर जिला मुख्यालय स्थित एक रेस्टोरेंट सभागार में शिक्षक एवं हिन्दी-राजस्थानी के साहित्यकार वीरेन्द्र छापोला ‘वीर’ की राजस्थानी भाषा की प्रथम बाल काव्य कृति ‘मीत बणावां पोथी नै’ का लोकार्पण समारोह हुआ। अध्यक्षता वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने की। मुख्य अतिथि निजी शिक्षण संस्था के प्रांतीय उपाध्यक्ष तरुण विजय रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में कागद फाउंडेशन की अध्यक्ष भगवती पुरोहित कागद, अर्जुन अवार्डी जगसीर सिंह, आकाशवाणी के पूर्व वरिष्ठ उद्घोषक एवं शायर राजेश चड्ढ़ा, शायर पवन शर्मा तथा सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सुरेन्द्र सामरिया ने शिरकत की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में बाल साहित्य मनीषी दीनदयाल शर्मा ने कहा-‘आज के बच्चे बाल साहित्य को पढ़ने की बजाय टीवी, लैपटॉप, टेबलेट और मोबाइल में घुसे हुए हैं और पश्चिमी संस्कृति के दमघोटू वातावरण में केवल बाल साहित्य ही ऐसा साधन है, जो बाल पीढ़ी को प्रभावित कर सकता है। ऐसे वातावरण में एक साहित्यकार की जिम्मदारी बनती है कि वह उत्कृष्ट बाल साहित्य का सृजन करे।’ दनदयाल शर्मा ने कहा कि मुझे इस पुस्तक का प्रथम पाठक होने का गौरव प्राप्त हुआ है। इस कारण मैं दावे से कह सकता हूं कि यह कृति ‘मीत बणावां पोथी नै’ के लेखक वीरेन्द्र छापोला को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण पुस्तक साबित होगी।
विशिष्ट अतिथि राजेश चड्ढ़ा ने कहा कि आज पुस्तक का महत्व और बढ़ जाता है। इसके लिए स्कूलों और महाविद्यालयों में बच्चों की कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए। जिससे नई पीढ़ी को साहित्य सृजन करने की परम्परा से जोड़ा जा सके और उत्कृष्ट साहित्य की दिशा में काम महत्वपूर्ण काम हो सके।
मुख्य अतिथि तरुण विजय ने कहा कि हनुमानगढ़ में हमारी जितनी भी शिक्षण संस्थाएं हैं, वहां साहित्य संबंधी किसी भी प्रकार की कार्यशाला के लिए हम सदैव तैयार हैं। उन्होंने अपनी शिक्षण संस्था ‘बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज’ में एक साहित्यिक वर्कशॉप आयोजित करवाने की घोषणा की।
विशिष्ट अतिथि एवं ऊर्जावान सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सुरेन्द्र सामरिया ने कहा कि हमारे कार्यालय में बहुत बड़ा सभागार है और कार्यक्रम के लिए सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। यदि कोई साहित्यकार साहित्य संबंधी आयोजन करते हैं तो हम उनका स्वागत करते हैं। डॉ.संतोष राजपुरोहित ने इस पुस्तक को बालमन की पहुंच में बताया। वन्य जीव संरक्षक एवं शायर पवन शर्मा ने पुस्तक की कविताओं को सरल, सहज, रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक बताया।
विशिष्ट अतिथि एवं इण्टरनेशनल खेलों में 16 स्वर्ण पदक हासिल करने वाले अर्जुन अवार्डी जगसीर सिंह ने कहा कि ऐसे साहित्यिक समारोह के लिए किसी खिलाड़ी को आमंत्रित करना हम सबके लिए बड़े गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में नशे की प्रवृत्ति बहुत अधिक है, यदि हम युवा पीढ़ी को खेलों और साहित्य से जोड़ेंगे तो हम काफी हद तक नशे पर नियंत्रण कर सकते हैं।
पुस्तक के लोकार्पण के साथ ही काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें राजेश चड्ढ़ा, डॉ. प्रेम भटनेरी, दीनदयाल शर्मा, नरेश मेहन, सुरेन्द्र सत्यम, हरीश हैरी, मोहनलाल वर्मा, पवन शर्मा, चैनसिंह शेखावत, राजवीर सिंह राठौड़, आशीष गौतम, उदयपाल वर्मा और जयासूर्या ने अपनी प्रतिनिधि कविताओं का वाचन किया। लोकार्पण कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारी पन्नालाल कुमावत, डॉ. ऋतुबाला, पूर्व हॉकी खिलाड़ी संतोष छापोला, श्रवण यादव, पूनम कुमावत, जितेन्द्र छापोला, कलसी छापोला, लखवीर सिंह, विक्रम चौधरी, सुनील सुथार, गुरप्रीत मान सहित दिविजा, घनिष्ठा, याह्वी, पार्थ, ओजस आदि बच्चे भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कृति के कवि वीरेन्द्र छापोला ने अपनी पुस्तक से दो बाल कविताओं का भी वाचन किया। कार्यक्रम का संयोजन राही फाउंडेशन के अध्यक्ष योगेश कुमावत की ओर से आयोजित किया गया। जबकि कार्यक्रम का सफल संचालन सुप्रसिद्ध गीतकार मनोज देपावत ने किया।

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