हरियाली और परिंदों की छांव में ‘द ईगल फाउंडेशन’ की अनूठी उड़ान

रतनदीप झा. भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ की तपती ज़मीन पर जब सूर्य की किरणें आग बनकर बरसती हैं, तब एक संस्था ऐसी है जो इन विकराल परिस्थितियों में भी प्रकृति के लिए ठंडी छांव बनकर खड़ा होता है। यह संस्था है, ‘द ईगल फाउंडेशन’, जो न सिर्फ़ पशु-पक्षियों की पीड़ा को महसूस करता है, बल्कि उनके लिए समाधान भी खोजता है। इस संस्था की नींव रखी युवा पर्यावरण प्रेमी प्रशांत सोनी ने, जिनका सपना सिर्फ़ एक स्वच्छ पर्यावरण नहीं, बल्कि जीवमात्र के लिए सुरक्षित आश्रय उपलब्ध करवाना भी है। समाज के लिए कुछ विशेष और सकारात्मक करने की उनकी भावना ने आज ‘द ईगल फाउंडेशन’ को एक पहचान दी है।
जब परिंदों के लिए बना घर
गर्मी के दिनों में जब तापमान 45 डिग्री के पार चला जाता है और पानी की एक बूँद की तलाश में पक्षी भटकते हैं, तब ‘द ईगल फाउंडेशन’ उनके लिए जीवन की डोर बन जाती है। संस्था ने 300 विशेष पक्षीगृह (बर्ड हाउस) तैयार कराए हैं। यह कार्य केवल संख्या तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इन घरों की बनावट में भी वैज्ञानिक सोच और संवेदनशीलता का सुंदर समन्वय दिखता है।
चंडीगढ़ से मंगवाए गए यह पक्षीगृह एमडीएफ शीट से बनाए गए हैं, जो टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हैं। प्रशांत सोनी बताते हैं, ‘इन पक्षीगृहों में दो अलग-अलग खंड बनाए गए हैं, एक अंडे देने के लिए अलग से सुरक्षित स्थान और दूसरा सामान्य आवास के रूप में। प्रवेश द्वार और हवा के लिए खिड़कियों की व्यवस्था इन्हें गर्मियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त बनाती है।”
इन पक्षीगृहों को जिले के कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को भेंट भी किया गया, जिनमें जिला कलेक्टर कानाराम, एडीएम उम्मेदीलाल मीणा और विधायक गणेशराज बंसल शामिल हैं। इस पहल की हर स्तर पर सराहना हुई, जिससे संस्था को और भी ऊर्जा मिली।


हरियाली की चाह में लगाया पौधों का मेला
जैसे ही मानसून की आहट होती है, ‘द ईगल फाउंडेशन’ की टीम हरियाली के मिशन में जुट जाती है। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी संस्था ने 1000 पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। संस्था का विश्वास है कि सिर्फ़ पौधे लगाना ही नहीं, बल्कि उन्हें संरक्षित करना और बड़ा करना भी हमारी जिम्मेदारी है। इसी सोच के तहत पौधों की सतत देखभाल की योजना भी बनाई जाती है। संस्था के संयोजन में स्थानीय समाज और प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिलता है। एडीएम उम्मेदीलाल मीणा ने 1000 पौधे उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया है, जिसे टीम एक अभियान के रूप में पूर्ण करने को तैयार है। स्कूलों, मंदिर परिसरों, सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण की योजनाएं तैयार की जा चुकी हैं।


युवा शक्ति बनी प्रेरणा
‘द ईगल फाउंडेशन’ की असली ताकत है उसकी युवा टीम, जो निःस्वार्थ भावना से दिन-रात सेवा में जुटी रहती है। यादविंद्र सिंह, नासिर खान, वाजिद खान, अर्जुन, अमरीक सिंह, लक्ष्मण राजपुरोहित और भरत गुप्ता जैसे युवाओं की सक्रिय भागीदारी इस मिशन को जन-आंदोलन में बदल रही है। हर सदस्य की अपनी भूमिका तय है, कोई डिजाइनिंग करता है, कोई फील्ड में काम संभालता है, तो कोई जनजागरूकता फैलाने का जिम्मा उठाता है। सबका उद्देश्य एक ही है, धरती को बचाना, जीवन को संवारना।


भविष्य की उड़ान
‘द ईगल फाउंडेशन’ की योजना सिर्फ पक्षीगृह और पौधरोपण तक सीमित नहीं है। भविष्य में संस्था पशु-पक्षियों के लिए मेडिकल सहायता केंद्र, जल-संरक्षण योजनाएं, प्लास्टिक मुक्त अभियान, और बच्चों के लिए पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की दिशा में अग्रसर है।
संस्थापक अध्यक्ष प्रशांत सोनी मानते हैं कि ‘हर व्यक्ति यदि अपने घर के बाहर एक पौधा और एक पक्षीगृह लगाने की जिम्मेदारी ले ले, तो हमारी धरती फिर से हरी-भरी और जीवनदायिनी हो सकती है।’ आज जब वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है, तब हनुमानगढ़ जैसे क्षेत्र से उठी ‘द ईगल फाउंडेशन’ की यह चेतना आशा की किरण बनकर सामने आती है। यह संस्था साबित करती है कि संसाधनों की कमी नहीं, संवेदनशील सोच की आवश्यकता है।
बाल कल्याण समिति सदस्य विजय सिंह चौहान कहते हैं, ‘प्रशांत सोनी और उनकी टीम ने यह दिखा दिया है कि यदि संकल्प सच्चा हो तो चिड़ियों के लिए भी छत बन सकती है और सूखी ज़मीन पर भी हरियाली लहराई जा सकती है। ऐसे प्रयासों को न सिर्फ सराहना, बल्कि समाज की सक्रिय भागीदारी की भी आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को हम एक जीवंत, हरित और सुरक्षित पर्यावरण सौंप सकें।’

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