



डॉ. एमपी शर्मा.
‘जहर का स्वाद मीठा हो सकता है, लेकिन उसका अंजाम कड़वा ही होता है।’ तंबाकू और उससे बने उत्पाद जैसे गुटखा, खैनी, सुपारी और जर्दा का सेवन करते समय शायद इसका अहसास नहीं होता, लेकिन धीरे-धीरे यह आदत मौत की ओर धकेलती है। मुँह से लेकर फेफड़ों तक, दिल से लेकर दिमाग तक, तंबाकू हर अंग को नुकसान पहुँचाता है। कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज और अन्य घातक बीमारियाँ इसके जानलेवा परिणाम हैं। मगर, मजबूत इच्छाशक्ति, सही मार्गदर्शन और जागरूकता से इस जानलेवा आदत से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं तंबाकू के दुष्प्रभाव और इससे बचाव के प्रभावी उपाय।
तंबाकू और उससे बने उत्पाद जैसे सुपारी, गुटखा, खैनी, जर्दा आदि का सेवन करने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। ये नशे की लत लगाने के साथ-साथ शरीर के विभिन्न अंगों को भी प्रभावित करते हैं।
कैंसर और अन्य घातक रोग
गुटखा और खैनी के सेवन से मुंह में सफेद धब्बे बन जाते हैं, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकते हैं। तंबाकू के लगातार सेवन से गले, स्वर तंत्र, और अन्ननली का कैंसर हो सकता है। सुपारी और गुटखा में मौजूद तत्व पाचन तंत्र में पहुंचकर अग्न्याशय को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।

मुँह और दाँतों से जुड़ी बीमारियाँ
ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस एक गंभीर बीमारी है जिसमें मुँह के अंदर के टिशू सख्त हो जाते हैं, जिससे मुँह खोलने में दिक्कत होती है। तंबाकू के कारण मसूड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे दाँत हिलने लगते हैं और पायरिया जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। गुटखा और सुपारी से दाँत पीले या भूरे हो जाते हैं और दाँतों का क्षरण शुरू हो जाता है।

हृदय और रक्तवाहिनी तंत्र से जुड़ी समस्याएँ
तंबाकू के सेवन से धमनियों में रुकावट आ सकती है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। निकोटिन ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।
अन्य बीमारियाँ
गर्भावस्था में नुकसान: तंबाकू सेवन से गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी, कम वजन के बच्चे का जन्म और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। गुटखा खाने वाले अक्सर धुआं रहित तंबाकू को चबाने के बाद थूकते हैं, जिससे इंफेक्शन, टीबी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। निकोटिन के कारण शरीर में इंसुलिन की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।

तंबाकू छोड़ने के तरीके
सबसे पहले ठान लें कि आपको तंबाकू छोड़ना ही है। एकदम छोड़ना मुश्किल हो सकता है, इसलिए धीरे-धीरे मात्रा कम करें। निकोटिन च्यूइंग गम, पैच, लोजेंज और स्प्रे की मदद से तंबाकू छोड़ने में सहायता मिल सकती है। डॉक्टर से परामर्श लेकर तंबाकू छोड़ने की दवाइयाँ (जैसे वरनिक्लिन या बुप्रोपियोन) ले सकते हैं। जब भी तंबाकू की तलब लगे, तो इलायची, सौंफ, मिश्री, गाजर या मूंगफली चबाएँ। योग, प्राणायाम और ध्यान से मानसिक संतुलन बना रहता है और तंबाकू छोड़ने में मदद मिलती है।
सार्वजनिक स्तर पर रोकथाम
सरकार को गुटखा और तंबाकू उत्पादों पर कठोर नियम बनाने चाहिए। स्कूल और कॉलेज में जागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि युवाओं को तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए। सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू सेवन पर सख्ती से रोक लगाई जाए। सुपारी, गुटखा, तंबाकू और खैनी का सेवन शरीर के लिए बेहद खतरनाक है और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका इसे पूरी तरह छोड़ना है। मजबूत इच्छाशक्ति, सही मार्गदर्शन और स्वस्थ आदतों को अपनाकर तंबाकू से छुटकारा पाया जा सकता है।
-लेखक सुविख्यात सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं


