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डॉ. एमपी शर्मा.
चिकित्सा के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक का उपयोग आज निदान (डायग्नोसिस) को अधिक सटीक, तेज़ और प्रभावी बनाने में किया जा रहा है। यह न केवल डॉक्टरों की मदद कर रही है, बल्कि रोगियों को भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सहायक हो रही है।
एआई का निदान में योगदान
तेज़ और सटीक निदान
एआई तकनीक बड़ी मात्रा में डेटा (जैसे मरीज की रिपोर्ट, मेडिकल इतिहास और लैब टेस्ट) का विश्लेषण कर सटीक निदान कर सकती है। उदाहरण के लिए, एमआरआई, सीटी स्कैन और एक्स-रे की तस्वीरों में बीमारी की पहचान।
पहले से रोग की पहचान
एआई में डेटा विश्लेषण की क्षमता के कारण रोग के लक्षण प्रकट होने से पहले ही संभावित बीमारियों की पहचान की जा सकती है। यह गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर और हृदय रोगों के शुरुआती चरण में निदान के लिए उपयोगी है।
डॉक्टरों की सहायता
एआई तकनीक डॉक्टरों के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान बनाती है। यह उन्हें विभिन्न विकल्पों का विश्लेषण करने और सर्वाेत्तम उपचार योजना तैयार करने में मदद करती है।
क्लिनिकल डाटा का प्रबंधन
मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड को संरक्षित और व्यवस्थित करने में एआई उपयोगी है। इससे डॉक्टर को सही समय पर आवश्यक जानकारी मिलती है।
चिकित्सा त्रुटियों में कमी
मानवीय त्रुटियां कम करने के लिए एआई सहायक है। यह दवाओं की सही खुराक, उपचार पद्धति और संभावित दुष्प्रभावों के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करती है।
रिमोट हेल्थकेयर
टेलीमेडिसिन और एआई का उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
चुनौतियां और सीमाएं
एआई पर पूरी तरह निर्भरता डॉक्टर की नैदानिक कुशलता को प्रभावित कर सकती है।
डेटा गोपनीयता और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।
हर जगह एआई तकनीक का उपयोग करना महंगा हो सकता है।
निष्कर्ष
एआई तकनीक निदान प्रक्रिया को उन्नत बनाने में अत्यधिक सहायक है, लेकिन इसे डॉक्टरों के अनुभव और नैदानिक कौशल के पूरक के रूप में ही देखा जाना चाहिए। भविष्य में, एआई और मानव विशेषज्ञता का समन्वय स्वास्थ्य सेवा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
-लेखक जाने-माने सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं
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