





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षाओं में शुमार नीट 2025 का परिणाम आज जैसे ही घोषित हुआ, पूरे राजस्थान में खुशी की लहर दौड़ गई। हनुमानगढ़ जिले के नोहर कस्बे से ताल्लुक रखने वाले महेश कुमार ने 700 में से 686 अंक अर्जित कर देशभर में टॉप रैंक हासिल की है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ ही उन्होंने न केवल अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया, बल्कि राजस्थान की कोचिंग नगरी सीकर की प्रतिष्ठा को भी नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। महेश ने बताया कि उन्होंने पहली बार मई 2025 में सीकर के श्रीमाधोपुर परीक्षा केंद्र पर नीट की परीक्षा दी थी। उन्हें उम्मीद थी कि वे अच्छा करेंगे, लेकिन देश में पहला स्थान मिलना सपने जैसा है। परिणाम घोषित होने के बाद उनके परिवार में जश्न का माहौल है। लोग मिठाइयां बांट रहे हैं, बधाइयों का तांता लगा है और सोशल मीडिया पर भी महेश की कामयाबी की चर्चा हो रही है।
सरकारी शिक्षक माता-पिता और बहन की प्रेरणा बनी राह
महेश का पारिवारिक माहौल शैक्षणिक रहा है। उनके माता-पिता दोनों ही सरकारी स्कूल में तृतीय श्रेणी शिक्षक हैं। महेश बताते हैं कि माता-पिता ने कभी भी अंकों को लेकर उन पर दबाव नहीं डाला। यह आज की प्रतिस्पर्धा भरी दुनिया में एक दुर्लभ बात है, जिसने उन्हें तनावमुक्त होकर पढ़ाई करने में मदद की। दिलचस्प बात यह भी है कि महेश शुरू में यूपीएससी की तैयारी करना चाहते थे, लेकिन उनकी बड़ी बहन हिमांशी, जो खुद मेडिकल क्षेत्र में हैं, ने उन्हें बायोलॉजी लेने और नीट की तैयारी करने की सलाह दी। बहन की इस सलाह ने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी।
स्मार्ट स्ट्रैटेजी… कम समय में की प्रभावशाली पढ़ाई
महेश की सफलता का राज सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि स्मार्ट पढ़ाई है। वे पिछले तीन वर्षों से सीकर में रहकर नीट की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उन्होंने बताया कि वे रोजाना केवल 6 से 7 घंटे ही पढ़ाई करते थे। परीक्षा से ठीक एक माह पहले, जब अन्य छात्र 10-12 घंटे की पढ़ाई में डूबे रहते हैं, महेश ने तनाव कम करने के लिए पढ़ाई का समय घटाकर 4-5 घंटे कर दिया। उनका मानना है कि पढ़ाई में गुणवत्ता और निरंतरता महत्वपूर्ण है, न कि सिर्फ घंटे गिनना। ‘ज्यादा दबाव में पढ़ाई करने से चीजें भूलने का डर रहता है,’ महेश ने साफ कहा।
छात्रों के लिए संदेश:‘कभी निराश मत हो, रास्ते निकलते हैं’
नीट टॉपर महेश ने अन्य छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि कोचिंग में आने वाले कम अंकों से निराश न हों। उन्होंने कहा, “आपका आत्मविश्वास ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है। अगर किसी दिन कुछ समझ नहीं आए, तो उसे अपने अंदर मत दबाओ। शिक्षकों और माता-पिता से बात करो। मानसिक तनाव से दूर रहो, क्योंकि यह परीक्षा उतनी मानसिक चुनौती भी है, जितनी अकादमिक।” महेश ने यह भी जोड़ा कि ‘इस परीक्षा की तैयारी लाखों छात्र करते हैं, लेकिन सफलता उन्हें मिलती है जो धैर्य, आत्मअनुशासन और सही मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़ते हैं।’





