हनुमानगढ़ में शुरू हुआ सरकारी नशा मुक्ति केंद्र, क्या बोले कलक्टर कानाराम ?

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भटनेर पोस्ट सिटी डेस्क.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की बजट घोषणा अनुसार जिले में 25 बेड के सरकारी नशा मुक्ति केंद्र का शुक्रवार को विधिवत रूप से शुभारंभ किया गया। गौरतलब है कि जिले में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने जिले में 25 बेड के नशा मुक्ति केंद्र को सरकारी अनुदान पर संस्था के माध्यम से चलाए जाने की घोषणा की थी।
कलेक्टर काना राम ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुशासन दिवस के अवसर पर कई महत्वपूर्ण सौगातें दी हैं, जिनमें जिले के लिए यह नशा मुक्ति केंद्र एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने बताया कि पिछले बजट में 25 बेड के सरकारी नशा मुक्ति केंद्र की घोषणा की गई थी, जिसे शीघ्र प्रारंभ करने के लिए संस्थाओं के माध्यम से कार्य किया गया। इस केंद्र में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें इंडोर हॉल, वार्डन, योग प्रशिक्षक, मनोचिकित्सक सहित अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं शामिल हैं। भविष्य में सुविधाओं का विस्तार भी किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक जरूरतमंद और इच्छाशक्ति रखने वाले व्यक्तियों को इसका लाभ मिल सके।
सरकारी नशा मुक्ति केंद्र बनेगा वरदान
कलेक्टर ने कहा कि यह केंद्र नशा छोड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए वरदान साबित होगा। इसके गुणवत्ता नियंत्रण के लिए चिकित्सा विभाग की विशेष टीमों का गठन किया गया है, जो समय-समय पर निरीक्षण कर इसकी कार्यप्रणाली की निगरानी करेंगी। जिला कलेक्टर ने बताया कि मानस अभियान के अंतर्गत अब तक 18,000 से अधिक नशा करने वाले व्यक्तियों की पहचान की जा चुकी है, हालांकि यह संख्या और अधिक हो सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों को नशे की गिरफ्त में जाने से रोका गया, तो यह अभियान सफल होगा।
इस अवसर पर हनुमानगढ़ विधायक गणेश राज बंसल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद देलू, बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र पारीक, भाजपा नेता अमित चौधरी, मनोचिकित्सक डॉ. ओ. पी. सोलंकी, पीएमओ डॉ. शंकर सोनी और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक विक्रम सिंह शेखावत सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
नशा छोड़कर मिला असली जीवन: दिव्यांशु
सरकारी नशा मुक्ति केंद्र के शुभारंभ अवसर पर नशा छोड़ चुके दिव्यांशु ने अपनी यात्रा के बारे में बताया। दिव्यांशु का मानना है कि नशे के बिना ही एक खुशहाल जीवन संभव है। यह एहसास उन्हें तब हुआ जब उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होकर नशे से पूरी तरह दूरी बना ली। अपनी नशा मुक्ति यात्रा के बारे में बताते हुए दिव्यांशु सोनी ने कहा कि पहले वह सभी प्रकार के नशे का आदी था। उन्हें लगता था कि वे कभी नशा नहीं छोड़ पाएंगे, क्योंकि जब भी उन्होंने छोड़ने की कोशिश की, उनका पूरा शरीर दर्द से तड़प उठता था। कई बार उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया, लेकिन गलत संगति के कारण वे फिर से नशे की लत में पड़ जाते। जब उन्होंने नशा मुक्ति अभियान से जुड़ने का निर्णय लिया और नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती हुए, तो वहां मनोचिकित्सकों की देखरेख और नशा छोड़ चुके अन्य लोगों की प्रेरणादायक कहानियों ने उन्हें आत्मविश्वास दिया। इस सफर में न केवल उन्होंने नशे को अलविदा कहा, बल्कि उन्हें अपने जीवन का एक नया लक्ष्य भी मिला, जिससे वे अब बेहद खुश और संतुष्ट हैं। अब वे अन्य नशा करने वालों को प्रेरित कर रहे हैं कि असली जीवन नशे से मुक्त होकर ही संभव है।

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