अंबेडकर विरोधी हैं आरएसएस-बीजेपी के लोग, बोले डीसीसी चीफ सुरेंद्र दादरी

भटनेर पोस्ट डेस्क.
भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) कार्यालय, टाउन में एक संगोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीसीसी अध्यक्ष सुरेन्द्र दादरी ने की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता, पदाधिकारी और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उपस्थित हुए। सभी ने डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सुरेन्द्र दादरी ने डॉ. अम्बेडकर के जीवन संघर्ष को रेखांकित करते हुए कहा, ’बाबा साहेब ने केवल संविधान नहीं रचा, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज को न्याय, समानता और आत्मसम्मान की राह दिखाई। वे सामाजिक क्रांति के अग्रदूत थे। बाबा साहेब का सपना एक ऐसे भारत का था, जहां इंसान की पहचान उसकी जाति या वर्ग से नहीं, बल्कि उसकी मानवता से हो।’ उन्होंने समाज के सबसे वंचित वर्गों को हक दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। सुरेन्द्र दादरी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा ऐतिहासिक रूप से डॉ. अम्बेडकर विरोधी रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि 17 दिसंबर 2024 को संसद में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. अम्बेडकर का अपमान किया गया। 1949 में आरएसएस कार्यकर्ताओं ने रामलीला मैदान में डॉ. अम्बेडकर का पुतला जलाया था।
दादरी ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा-‘राजस्थान में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली के मंदिर में पूजा करने पर मंदिर को ‘शुद्ध’ करवाया गया। अब ये लोग वोट की राजनीति के लिए बाबा साहेब की जयन्ती मनाते हैं, लेकिन जनता सब जानती है,’
जिला प्रमुख कविता मेघवाल ने बाबा साहेब के महिला अधिकारों को लेकर किए गए संघर्षों की सराहना की। उन्होंने बताया कि डॉ. अम्बेडकर ने हिन्दू कोड बिल लाकर महिलाओं को विरासत, विवाह और तलाक जैसे मामलों में बराबरी का अधिकार देने का साहसिक प्रयास किया। वे न केवल दलितों के उद्धारक थे, बल्कि महिलाओं के अधिकारों के भी सबसे बड़े संरक्षक थे।
पीसीसी सदस्य भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का मुख्य साधन माना। उन्होंने कई कॉलेजों की स्थापना कर वंचित वर्गों को शिक्षित होने और अपने हक के लिए खड़ा होने का रास्ता दिखाया। आज हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम शिक्षा के माध्यम से हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर दें।
इस अवसर पर कांग्रेस के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे, इनमें जयदेव भिड़ासरा, करणीसिंह राठौड़, गुरमीत सिंह चन्दड़ा, मनोज सैनी, रविन्द्र बेनीवाल, यशवंत कड़वा, अश्विनी पारीक, जयराम ढूकिया, वर्षा कर्मचंदानी, मनमोहन सोनी, अमरसिंह सिहाग, विजय गौंद, संदीप सिहाग, शाहरूख खान, राजेन्द्र बराड़, भानीराम बगड़िया, दीपक कर्मचंदानी, ओम सोनी, राजेन्द्र कोहला, विनोद गुरुसर, महेन्द्र चतुर्वेदी, बंशी खन्ना, मामराज परिहार, मदन मेघवाल, अमजद खान, मोहनलाल इन्दलिया, यश चिलाना, विजय सिंह चौहान, चन्दन मोंगा, जाकिर हुसैन, मनोज भारद्वाज आदि प्रमुख हैं।
विचारों को आत्मसात करने का संकल्प
सभा का समापन ‘न्याय, समानता और बंधुत्व’ के सिद्धांतों को जीवन में उतारने के संकल्प के साथ हुआ। सभी ने बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलकर सामाजिक समरसता, शिक्षा और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का वचन लिया।

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