खुलने वाला है राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा!

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भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान में सियासी हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। प्रदेश में गुटबाजी को खत्म करने और असंतोष पर लगाम कसने के लिए भाजपा आलाकमान जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा कर सकता है। इस बार खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कैंप के विधायकों और पूर्व विधायकों को इन नियुक्तियों में तवज्जो मिल सकती है। माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान गुटबाजी को खत्म करने और संगठन में संतुलन बनाए रखने के लिए यह रणनीति अपनाने जा रहा है। भाजपा सरकार बनने के तीन महीने बाद भी राजनीतिक नियुक्तियां लंबित हैं। इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। वहीं, वसुंधरा राजे गुट के कई दिग्गज विधायक और नेता मंत्री पद नहीं मिलने से असंतुष्ट हैं और समय-समय पर सरकार के लिए असहज बयान भी दे चुके हैं। दूसरी ओर, पार्टी कार्यक्रमों में वसुंधरा राजे की कम उपस्थिति को भी राजनीतिक विश्लेषक नाराजगी का संकेत मानते हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व अब इस असंतोष को शांत करने के लिए राजे समर्थकों को बड़े पदों पर बिठाने का मन बना चुका है।
वसुंधरा गुट पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता अशोक परनामी को हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाया जा सकता है। विधानसभा चुनाव 2023 में परनामी को टिकट नहीं मिला था, लेकिन अब उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की चर्चा जोरों पर है। मालवीय नगर से कई बार विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री कालीचरण सराफ को जन अभाव अभियोग निराकरण समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है। हालांकि, कुछ चर्चाओं में उन्हें फिर से मंत्री पद दिए जाने की भी बात हो रही है। पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी को राजस्थान राज्य भंडार निगम का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है। सैनी, किसान समुदाय में मजबूत पकड़ रखते हैं, जिससे सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ मिल सकता है। श्रीचंद कृपलानी व प्रभुलाल सैनी में से किसी एक को मंत्री पद दिया जा सकता है। अगर मंत्री पद नहीं मिला, तो दोनों नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति का तोहफा जरूर मिल सकता है। गुटबाजी को संतुलित करने के लिए सीएम भजनलाल शर्मा और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के करीबी नेताओं को भी नियुक्तियां मिल सकती हैं। प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी को वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा है। भाजपा उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच को विप्र कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। शेखावत गुट राजेंद्र सिंह राठौड़ और अलका गुर्जर को भी राजनीतिक नियुक्ति दिलाने के लिए जोर लगा रहा है।
कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को भी तोहफा संभव
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए लालचंद कटारिया और राजेंद्र यादव को भी पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन जैसे पद दिए जा सकते हैं। वहीं, ज्योति मिर्धा को वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है। तीनों गुट अपने-अपने समर्थकों को एडजस्ट कराने की कोशिश में लगे हैं, जिससे नियुक्तियां अटकी रहीं। अक्टूबर 2024 में जब नगर निकायों में 500 पार्षदों की नियुक्तियां हुईं, तो 24 घंटे में ही आदेश रद्द करना पड़ा। इस घटना ने भाजपा नेतृत्व को और सतर्क कर दिया है।

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